उत्तराखंड : पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होनी चाहिए इसको लेकर युवा शक्ति संगठन 10. सितंबर से देहरादून से ऋषिकेश ;देवप्रयाग' श्रीनगर रुद्रप्रयाग होते हुए गैरसैण तक 300 किलोमीटर की दूरी पैदल यात्रा करेगा। यात्रा का मुख्य उद्देश्य लोगों को जागृत करना है कि 18 सालों में जब हम अपनी स्थाई राजधानी नहीं बना पाए हैं तो हमारे पहाड़ों का विकास कैसे संभव है ।पहाड़ों का विकास तभी संभव है जब हमारी राजधानी पहाड़ में होगी।जब हमारा उत्तराखंड अलग हुआ था तो हमने अपनी राजधानी को गैरसैंण माना था परंतु आज 18 सालों में भी दोनों पार्टी की सरकारें रही कोई भी गैरसैण को अपनी राजधानी नहीं बना पाया। देहरादून में हमारे राजधानी आज भी अस्थाई है मैदानी इलाके में होने के कारण पहाड़ी इलाकों पर सरकार का कम ध्यान जाता है। हमारी राजधानी देहरादून मैदानी इलाकों में है जिसका फायदा आसपास के राज्य उठा रहे हैं वह मोटी मोटी रिश्वत देकर सरकारी नौकरी पा जाते हैं हमारे पहाड़ की गरीब जनता मोटी रिश्वत नहीं दे पाती ।जिस कारण उन्हें वह नौकरी नहीं मिल पाती ।जब भी हमारे पहाड़ की जनता अपने किसी काम से राजधानी में जाती हैं तो उन्हें लगता है कि हम किसी और राज्य में आ गए हैं क्योंकि लगभग सभी कार्यालय में बाहर से आए हुए लोग हम पर बना रौब जमाते हैं उनकी बोली भाषा से लगता है कि यह हमारे राज्य की राजधानी नहीं है। हमारे सभी नेता पहाड़ के ही हैं परंतु बाहर के लोगों को इतनी नौकरियां देने के लिए क्यों मेहरबान है क्या हमारे बाहर की जनता के लिए कोई रोजगार नहीं है इनके पास इसलिए हम चाहते हैं कि गैरसैंण राजधानी बने ताकि बाहर के लोगों को पहाड़ पर कठिनाई होगी और वह यहां पर नौकरी लगने के लिए नहीं आएंगे मजबूरन सरकार को पहाड़ के लोगों को ही नौकरी देनी पड़ेगी और हमें भी महसूस होगा कि हम अपने उत्तराखंड की राजधानी में ही है। अगर जल्द ही गैर सेंड राजधानी नहीं बनी तो बाहर के लोगों का हम पर कब्जा होगा हम उत्तराखंड वासियों को बाहर के लोगों से कोई परेशानी नहीं है परंतु हमें हमारा अधिकार मिलना ही चाहिए। जब हमारे लोगों को रोजगार मिल जाएगा तब हमें बाहर के लोगों को रोजगार देने में कोई परेशानी नहीं होगी।अब तो राजनीतिक पार्टियां बहुत जल्दी परिसीमन भी करने जा रहे हैं । परिसीमन में मैदानी इलाकों की सीटें बढ़ाई जा रही है और पहाड़ों की घटाई जा रही है ताकि मैदानी इलाकों से ही उनकी सरकार बन जाए और उन्हें पहाड़ में चुनाव के दौरान जो कठिनाइयां आती है वह उनकी कम हो जाए फिर आप लोग समझ सकते हैं कि पहाड़ की दशा क्या होगी। इसलिए हमारी मांग यह भी है कि हिमाचल के तर्ज पर जनसंख्या के आधार पर परिसीमन न हो ।क्षेत्रफल के आधार पर हो जिस प्रकार से हिमाचल में है। इसलिए हम जनता से मांग करते हैं कि अपने अधिकारों के लिए लड़े गैरसैण राजधानी बनाने के लिए हमारा साथ दें ताकि हमारे पहाड़ के वासियों का भविष्य अच्छा हो
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