जिसमे नज़रियाती तहरीक भी काबिले गिरफ्त है
27/07/2019 को ही लोकसभा मे मरकज़ी वजीर ए दाखला (ग्रह मंत्री) अमित शाह ने *एंटी टेरर एक्ट* यानी आतंक विरोधी कानून पास कराया है ।
यह कानून टाडा और पोटा से भी ज्यादा खतरनाक है और इसका दायरा भी बहुत बड़ा रखा गया है
जिसमे पहली बार नज़रियाती तहरीक को भी आतंकवाद से जोड़ दिया गया है। पहले भी टाडा पोटा का इस्तेमाल ज्यादातर देशद्रोहियों के खिलाफ ही किया गया और अब भी मुल्क के मुख़्तलिफ़ स्टेटों की जेलों में आतंकवादी फंसे पड़े है।
मुल्क मैं यह सोशल मीडिया का दौर है और सोशल मीडिया की वजह से ही कई नौजवान अब भी जेलों में कै़द हैl
इसलिए कौम के सरपरस्तों वालदैन और खुद नौजवानो पर यह बड़ी जिम्मेदारी आयद हो जाती है कि वह कोई ऐसी हरकत ना करे और ना किसी ऐसी साज़िश के जाल में फंस जाए ज़िससे ज़िंदगी भर निकलना मुश्किल हो जाए, फंसाने के लिए बाज़ फ़िरकापरस्त लोग व्हाट्सएप, फ़ेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर ऐसे मैसेज वायरल कर सकते है जो तक पहुंचे और उन्हें दुसरों तक वायरल करेगा
अगर ऐसा हुआ तो जितने मैसेज जितने फोन में वायरल होंगे उतने सारे लोग कानूनी झमेलों में फंस जाएंगे। इसलिए बहुत ज़िम्मेदारी से बहुत सूझ बूझ से और बड़े ऐतेदाल के साथ ज़िंदगी गुजा़रने का वक़्त आ गया है नही तो लम्हों की खता सदियों की सज़ा का सबब बन जाएगी ।
अगर सोशल मीडिया पर नज़रियाती तहरीक या कोई क़ाबिल ऐतराज़ चीज़ वायरल होती है तो देश के नौजवान उसे हरगिज़ दूसरो तक ना पहुंचाएं और वहीं पर उसे डिलीट कर के किस्सा खत्म करें वरना यह मोबइल में महफूज़ रहेगा तो ऐंटी टेरर एक्ट के मुताबिक सबूत बन जायेगा। एन्टी टेरर एक्ट कानून लागू होने के बाद ख़ुफ़िया एजेंसियां भी पूरी तरह से सर गरम अमल हो जाएगी और सोशल मीडिया पर भी उनकी कड़ी नजर रहेगी। कही सोशल मीडिया के जरिये तो नज़रियाती तहरीक को फ़रोग़ नही दिया जा रहा है ?
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