कोरबा(पाली):- पहले जहाँ करील का उपयोग चोरी छिपे किया जाता था अब वहीं इसकी सब्जी हर घर की मिठास बन गई है।जिसके कारण बाजार में भी इस वस्तु की खुलेआम बिक्री होते देखे जा रहे हैं।हालाँकि इसके बिक्री व उपयोग पर वन विभाग ने रोक लगा रखी है।लेकिन बिक्री प्रतिबंधित नही हो पा रही है।
बांस की नरम कोपलें जिसे प्रारंभिक अवस्था में करील कहा जाता है।जो वन विभाग के संरक्षण में आता है तथा वर्तमान समय में ही यह कोपलें बांस की जड़ो से निकलता है।इसे तोड़ना या बेचना पूर्ण प्रतिबंधित है।लेकिन इस वस्तु को बाजार में खुलेआम बेंची जा रही है।वन विभाग द्वारा हालाकि इसके क्षति पहुँचाने पर प्रतिबंध तो जरूर लगाया गया है।लेकिन यह प्रतिबंध महज़ कागजों तक ही सीमित होकर रह गया है।
आपको बता दें कि पाली क्षेत्र के हाट बाजारों में बीते कुछ वर्षों से बतौर सब्जी करील की बिक्री का कारोबार खुलेआम हो रहा है।जिसकी कीमत इन दिनों 60 से 80 रूपए प्रति किलोग्राम के भाव पर बिक रही है।खुले तौर पर बिकने से इसके खरीददारों की भी संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।बृहस्पतिवार को पाली नगर में संचालित बाजार तथा रविवार को पोड़ी व डूमरकछार,मंगलवार-नुनेरा तथा बुधवार को लगने वाले चैतमा उक्त सभी साप्ताहिक बाजारों में बांस करील की बिक्री बेरोकटोक होकर धड़ल्ले से होते देखी जा सकती है।ऐसा नही है कि वन अमले को इसकी भनक या जानकारी ना हो अपितु सब कुछ जानते समझते हुए भी विभाग के कारिंदे निष्क्रिय होकर चुप्पी साधे बैठे है।इस प्रकार बांस कोपलों के बढ़ते उपयोग के कारण बांस की घटती संख्या या कहें सिमित होती जा रही है।ध्यान देने वाली बात तो यह है कि बांस बचाने की दिशा में वन अमला को हाट बाजारों में खुलेआम सब्जी के रूप में बिक्री की वस्तु बनी करील पर पूर्णतः पाबंदी लगाकर विभागीय कार्यवाही किया जाना चाहिए।जिससे इसके असमय क्षति पर रोक लगाई जा सके।लेकिन ऐसा नही होने से करील सार्वजनिक वस्तु की चीज बनकर रह गई है।
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