दिल्ली: तमाम दुनिया में आज के दिन एमेजॉन को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही हैं। लोग अलग-अलग हैशटैग के जरिए इसे ट्वीट कर रहे हैं। सबके सामने एमेजॉन की चिंता है। आखिर, एमेजॉन में हो क्या रहा है।
एमेजॉन कभी एक घना जंगल हुआ करता था। यहां पर गगनचुंबी पेड़ों के चंदोवे धरती को इस तरह से ढक लिया करते थे कि जमीन पर सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाती थी। इस विशाल जंगल में हजारों जलधाराएं बहा करती थीं। इस विशालकाय जंगल का अपना एक ईकोसिस्टम था। यह जंगल अपना खुद का बादल बनाता था और अपनी खुद की बारिशें भी पैदा कर लेता था। लेकिन, समय के साथ यह जंगल लगातार सिकुड़ता जा रहा है।
ब्राजील में मि. बोलसोनारो के सत्ता में आने के बाद से तो इसमें ऐसी तेजी आई है कि लग रहा है कि बस अब इसका खात्मा होने में कुछ ही समय बाकी है। यहां पर हर मिनट तीन फुटबाल के मैदान जितना जंगल साफ किया जा रहा है। जब ब्राजील की स्पेस एजेंसी ने इसका खुलासा किया तो पहले तो बोलसोनारो जी ने डाटा को गलत बताया। लेकिन, स्पेस एजेंसी के प्रमुख अपने डाटा पर अड़े रहे तो बोलसोनारो जी ने उन्हें बर्खास्त कर दिया।
माना जाता है कि धरती पर 20 फीसदी ऑक्सीजन एमेजॉन के जंगल पैदा करते हैं। यहां पर ट्रापिकल फारेस्ट का चालीस फीसदी हिस्सा मौजूद है। लेकिन, अब इस पूरे जंगल को साफ करके यहां पर मीट इंडस्ट्री व अन्य माल कमाऊ उद्योग खड़ा करने की योजना है। केन्द्र में सिर्फ और सिर्फ मुनाफा है। ऐसा जंगल किस काम का, जो कारपोरेट को मुनाफा भी न दे सके। जंगल साफ करके यहां पर जगह-जगह आग लगा दी गई है। ताकि, जमीन पूरी तरह से साफ हो जाए। इसके चलते इतना ज्यादा धुआं उठ रहा है कि उस धुएं को अंतरिक्ष से भी देखा जा रहा है। आस-पास के शहरों में इसका धुआं फैल गया है और दिन में भी अंधेरे जैसी स्थिति बनती जा रही है। पिछले साल की तुलना में आग लगने की घटनाओं में 80 फीसदी का इजाफा हुआ है। इस आग की चपेट में तमाम जीव-जंतु झुलसकर कोयला हो गए हैं।
कभी कार्बन सोख कर ऑक्सीजन पैदा करने वाला एमेजॉन अब ऑक्सीजन सोखकर कार्बन पैदा कर रहा है। इस पर भी शायद कोई कहे कि हमें क्या।
एमेजॉन हमारे लिए सांस ले रहा है। धरती के फेफड़े वहां पर मौजूद थे। अब इन फेफड़ों में दमघोंटने वाला धुआं घुस गया है।
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