लखीमपुर : गरीब कन्याओं के सामूहिक विवाह आयोजन के लिए जब पात्रकों की छानबीन की गई तो हैरान कर देने वाली हकीकत सामने आई।
आवेदन की हुई लड़कियों में से अधिकतर पहले से ही शादीशुदा निकली।
जहां उच्च अधिकारी इसे धांधली मान रहे हैं वहीं विभागीय लोग इसे लाभ में हुई देरी वजह मान रहे हैं।
यह है मामला
लखीमपुर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत पलिया ब्लॉक में करीब 35 युवतियों ने विवाह के लिए आवेदन किए थे। बीडीओ डॉ. विनय कुमार पर एक जिला पंचायत सदस्य द्वारा लगातार जल्द से जल्द विवाह कराने का दबाव डाला जाने लगा। जिसपर खंड विकास अधिकारी को कुछ शक हुआ। बीडीओ ने कर्मचारियों को आवेदकों की पात्रता की जांच में लगा दिया। जांच रिपोर्ट आने के बाद बीडीओ के पैरों तले जमीन ही खिसक गई। जांच में पाया गया कि अधिकतर आवेदकों का विवाह पहले ही हो चुका है। जिनमें से कुछ युवतियों की शादी के कार्ड भी रिपोर्ट के साथ लगे हुए थे।
जांच के बाद पता चलेगी हकीकत
बीडीओ ने बताया कि इस योजना में मिलने वाली धनराशि का गोलमाल किए जाने का उद्देश्य था। हालांकि वह यह नहीं बता सके कि कितनी आवेदक युवतियां ऐसी हैं, जिनकी शादी का कार्ड लगा है और उसमें शादी की तिथि आवेदन करने के बाद की है।
दरअसल संभावना यह भी है कि जिन युवतियों ने आवेदन किया हो उनकी शादी पहले से तब हो और वे योजना का लाभ लेना चाह रही हो लेकिन, शादी की तिथि विभाग की तरफ से तय न होने के कारण उनको शादी करनी पड़ गई हो।
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