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1951 में दीन दयाल उपाध्याय ने डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ राष्ट्रीय जन संघ की स्थापना जन जागृति की नींव रखी

1951 में दीन दयाल उपाध्याय ने डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ राष्ट्रीय जन संघ की स्थापना की थी। श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय के आदर्शवाद, उनकी निष्ठा और उनके समर्पण से इतने प्रभावित हुए थे कि एक बार उन्होंने कहा था,


“मुझे दो दीन दयाल दे दो, मैं देश का चेहरा पूरी तरह से बदल दूंगा।” 1953 में श्यामा प्रसाद के निधन के बाद जनसंघ की जिम्मेदारी दीन दयाल के कंधों पर आ गई। उनके नेतृत्व में जनसंघ नयी ऊंचाई पर पहुंचा। जनसंघ में रहते हुए उन्होंने एक ऐसी विचारधारा की नींव रखी जिस पर आगे चलकर बीजेपी का निर्माण हुआ। दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में उनकी सबसे बड़ी विचारधारा थी एकात्म मानववाद। ये विचारधारा भारत में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ढांचा खड़ा करने की उनकी कोशिशों का नतीजा थी, जो कि देश के अपने मूल्यों पर आधारित थी।
दीन दयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद कहता है कि एक व्यक्ति का उद्देश्य व्यापक स्तर पर आखिरकार समाज के उद्देशय की पूर्ति में मददगार है, क्योंकि इस आदर्श में सभी एक-दूसरे से जुड़कर अपना अस्तित्व और हित की पूर्ति करते हैं और एक दुसरे के पूरक एवं स्वाभाविक सहयोगी बनते। इनके बीत संघर्ष नहीं है।एक अर्थशास्त्री के रुप में दीन दायल उपाध्यायन गांधी की समाजवाद की अवधारणा से सहमत दिखते हैं। यानी कि समाज की हर एक छोटी इकाई उत्पादन करे। वे योजना आयोग को आलोचनात्मक तरीके से देखते थे, क्योंकि उनके नजर में योजना आयोग बेरोजगारी, स्वास्थ्य और बुनयादी ढांचा को तैयार करने में सफल नहीं रहा था। बता दें कि 11 फरवरी 1968 को दीन दयाल उपाध्याय मुगल सराय स्टेशन में मृत पाये गये थे। उनकी मौत से रहस्य का पर्दा अबतक नहीं उठ सका है। हाल ही में योगी आदित्यनाथ सरकार ने मुगल सराय स्टेशन का नाम दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन रखा है।


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