मध्यमवर्गीय परिवार को उजाड़ने का काम कर रहा है ग़ाज़ियाबाद उजाड़ प्राधिकरण होना चाहिए वीरेंद्र यादव
ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण वालो से पूछना चाहता हु की जब इनका निर्माण हो रहा था तब कहा सो रहे थे आपके लोग?अगर ये अवैध थे तो इन इमारतों के उस समय नक्शा कैसे पास हुआ ,रजिस्ट्री कैसे हुई, लोन कैसे हुआ अपने द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों को नकार रहा है जीडीए
जिन्होंने इन इमारतों को बनाया वो लोग गलत है वो लोग अवैध है जनता का क्या कसूर जिन्होंने अपने पूरे जीवन की कमाई सींच कर एक एक रुपये जोड़ कर मकान में लगाया और आज आपके द्वारा इसे अवैध घोषित करार दिया गया,
ये जितने भी निर्माण हुए हैं उसमें gda की मिलीभगत होती है सरकार किसी की भी रही हो लेकिन ये सिस्टम चोर है जो उस कुर्सी पर बैठ कर उस समय चुप रहा ओर पैसे लेकर काम करवाया वो भ्रष्ट है
इसमें जनता का क्या कसूर जनता ने तो पैसे देकर खरीदा है पहले तो ये अधिकारी पैसे खा लेते है ओर बनने देते हैं और बाद में अवैध का घोषणा कर जनता को मारने का काम करते हैं वो 2200 इमारतों में रहने वाले लाखों लोग कहा जाएंगे उनके लिए क्या सोच रखी है आपने ओर आपकी सरकार ने?
ये समस्या आज भी उतपन है अनुमति 4 मंजिल की होती है लेकिन बिल्डर 6 मंजिल 8 मंजिल बना लेते हैं इन सिस्टम में शाशन प्रसाशन में बैठे लोगों से मिलकर ओर फिर कुछ दिनों बाद इनको आपके द्वारा तोड़ने का घोषणा कर दिया जाता है इसमें आम आदमी पीस कर मर जाता है इसमें बदलाव की जरूरत है ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण आज इन 2200 इमारतों में रहने वालों के लिए उजाड़ प्राधिकरण बन चुकी है
जीडीए वीसी कंचन वर्मा को जनहित को नजर में रखते हुए एक बार फिर इस फैसले पर पुनविचार करने की जरूरत है जिससे कोई रास्ता निकले और आदमी इस मार से बचे कोई बेघर ना हो लेकिन इसके साथ ही पूरी तरह इस मामले की जांच करके जिन अधिकारियों ने इसमें पहले पैसे खाएं जिन बिल्डरों ने अवैध निर्माण करवाया उनपर कानूनी कार्यवाही करने चाहिए तथा उन्हें सजा दिलाने का काम होना चाहिए और भविष्य में फिर ऐसा धांधली ना हो उसपर भी विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे कि जनता का ग़ाज़ियाबाद विकास प्राधिकरण ओर सरकार पर भरोसा बना रहेे|
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