दिल्ली : बहुत कम लोगों को पता है कि भारत में हनुमान जी का सब से प्राचीन मंदिर भारत की राजधानी नयी दिल्ली में कनाट प्लेस पर बाबा खडक सिंह मार्ग पर स्थित बाल हनुमान का मंदिर है।
पुरातत्व विभाग के अनुसार कनाट प्लेस के इस बाल हनुमान मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति भारत की सब से प्राचीन हनुमान जी महाराज की मूर्ति है।बात महाभारत काल की है तब दिल्ली को इंद्र प्रस्थ कहा जाता था।इंद्र प्रस्थ की स्थापना पांडवों ने की थी।जब पांडवों ने इंद्र प्रस्थ की स्थापना की थी तब पांडवों ने एक नही पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना इंद्रप्रस्थ मे की थी। उनमे से एक मंदिर यह भी है।इसका कारण यह है कि पांडवों में महावीर भीम भी वायुपुत्र थे और हनुमान जी के छोटे भाई थे।हनुमान जी की कृपा से ही महाभारत के युद्ध में पांडवों को विजय की प्राप्ति हुयी थी।इस मंदिर की प्राचीनता और महिमा के बारे मे इसी बात से समझा जा सकता है कि परम पूज्य प्रातः स्मरणीय गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी इस मंदिर में हनुमान जी महाराज की उपासना की थी और हनुमान जी महाराज के निर्देश पर यँही पूज्य पाद गोस्वामी जी महाराज ने हनुमान चालीसा की रचना की थी।गोस्वामी तुलसी दास जी महाराज जब यँहा हनुमान जी महाराज का दर्शन करने आये थे तब बादशाह अकबर भी उनसे मिलने यँहा आया था और उसने गोस्वामी जी से चमत्कार दिखाने की प्रार्थना की थी।और जब गोस्वामी जी महाराज ने चमत्कार दिखाया।और अकबर हनुमान जी महाराज की शक्ति के आगे झुका तो उसने इस मंदिर के शिखर पर चंद्रमा युक्त कलश चढाया।जो आज भी चढा हुआ है।
आगे अकबर के अन्य वंशजों ने भारत के अन्य मंदिरों को तोडा फोडा लेकिन इस मंदिर को कभी किसी मुगल बादशाह ने नुकसान पहुँचाने की कोशिश बिल्कुल नही की।अकबर ने केवल चंद्रमा युक्त कलश ही नही चढाया बल्कि अपने सेनापति मानसिंह को इस मंदिर की इमारत को भव्य बनाने का भी निर्देश दिया।बाद में आगे चल कर महाराज जयसिंह ने औरंगजेब के शासनकाल मे इस मंदिर को और विस्तृत और भव्य बनवाया था।इस मंदिर की एक सब से बडी विशेषता यह है कि यँहा चौबीस घंटे लगातार " श्री राम जय राम जय जय राम का जाप होता रहता है।यह जाप 1 अगस्त सन 1964 से लगातार चल रहा है।गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्डस् के अनुसार यह विश्व का सब से लंबा और पुराना चलने वाला जाप है।इस मंदिर की विशेषता यह है कि यँहा की गयी मनोकामना जरूर पूरी होती है।कनाट प्लेस के बाल हनुमान के भक्त भारत मे ही नही भारत के बाहर भी हैं।तो आप भी कभी किसी मंगलवार या शनिवार को यँहा पहुँचिये और बाल हनुमान के दर्शन कीजिए।अपने जीवन को सफल करिये।
लेखक
आचार्य कुश मुनि स्वरूप।
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