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लोकशिक्षण अभियान ट्रस्ट’’ द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र,ने महात्मा गांधी लाल बहादुर शास्त्री की जयंती सद्भाव-भाईचार’’ दिवस के रूप में मनाई

साहिबाबाद:  2 अक्टूबर, 2019 को ''लोकशिक्षण अभियान ट्रस्ट'' द्वारा ज्ञानपीठ केन्द्र, स्वरूप पार्क जी0टी0 रोड़ साहिबाबाद के प्रांगण में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, व भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री की जयन्ती ''सद्भाव-भाईचार'' दिवस के रूप में मनाई।   


गयी। समारोह की अध्यक्षता पूर्व अधिकारी सी0पी0 सिंह ने किया कार्यक्रम के संयोजक वीरेन्द्र यादव, एडवोकेट, संचालन पं0 मुकेश 'ार्मा ने आयोजन, इन्जी0 धीरेन्द्र यादव ने किया, कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के अध्यक्ष रामदुलार यादव ने विस्तार से समारोह को संबोधित किया। पं0 अवधेश कुमार मिश्रा, एडवोकेट प्रख्यात कवि ने गांधी जी के जीवन पर स्वयं लिखित गीत प्रस्तुत किया। पं0 विनोद त्रिपाठी ने कविता पाठ किया, समारोह को वीरेन्द्र यादव, एडवोकेट, अंशु ठाकुर, सरदार अवतार सिंह (काले), वीर सिंह सैन, रामप्यारे यादव, जे0एन0 'ार्मा, एस0 पी0 छिब्बर ने भी संबोधित किया संगीता त्यागी, मंजू सिंह, सतोष मिश्रा भी कार्यक्रम में मौजूद रही ।
समारोह को संबोधित करते हुए वीरेन्द्र यादव, एडवोकेट ने कहा कि ''महात्मा गांधी, श्रेद्य लाल बहादुर शास्त्री के उच्च नैतिक मूल्य, सादगी पूर्ण जीवन जीने की कला मानवता के उत्थान में उनके द्वारा किये कार्य आज भी प्रासंगिक है, सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शक्तिशाली ब्रिटिश राज्य की जड़े हिला दी, आज कुछ सम्प्रदायिक, जातिवादी ताकते गांधी जी के बारे में गलत इतिहास बताना चाह रही है। नवजवानों को उनसे सावधान होने की आवश्यकता है। भारत देश का विकास सत्य, सद्भाव भाईचारे, प्रेम से होगा न की नफरत का वातावरण पैदा करने से। नफरत से तो परिवार भी उन्नति नही कर सकता देश, समाज कैसे सृदृण होगा। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम गंाधी जी की विचार धारा को जन-जन में फैलाने का कार्य करेगें तथा जातिवादी सम्प्रदायिक ताकतों को हतोत्साहित करने का कार्य करेगें। उन्होंने 1965 में भारत व पाकिस्तान के युद्ध के समय कठिन परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए कहा कि श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी में इतना नैतिक बल था कि उनके आह्वान पर देश वासियों ने अन्न की कमी को दूर करने के लिए एक दिन का उपवास रखा, सभी लोगों ने गमलों, छतों तथा खाली जमीनों में बीज बो अन्न का उत्पादन किया उन्होंने ''जय जवान, जय किसान'' का उद्घोष कर खेत में काम करने वाले किसान, सीमा की रक्षा करने वाले जवान का सम्मान किया। महात्मा गांधी, श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री को हम स्मरण करते हुए गौरव महसूस कर रहे। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी कि हम सभी साथी उनके द्वारा बताए रास्ते पर एक कदम चल सकें।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राम दुलार यादव ने कहा कि एक साधारण मानव ''महामानव, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी'' अपनी त्याग, तपस्या बलिदान से बने। जिसने भारत में नही विश्व को अपने विचार और आचरण से सादगीपूर्ण जीवन जीने, अन्याय अत्याचार के विरोध में सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह के हथियार से लड़ने की प्रेरणा दी, यह विश्व के इतिहास की अद्भूत घटना है। नेल्सन मण्डेला, मार्टिन लुथर किंग गांधी जी के इसी अस्त्र से प्रभावित होकर अपने देश के महान नेता बने तथा नस्ल भेद, अन्याय के विरोध में संर्घष किया। गांधी जी का मानना था मेरा उदे्श्य अंग्रेजी राज्य से केवल भारत 


को मुक्त करना नही है, मेरा विचार है कि जब भारत स्वतन्त्रत हो तो समाज में मानवता, सद्भाव भाईचारा बढ़े तथा प्रत्येक को न्याय, समान अवसर मिले, हमें देश समाज के अन्तिम व्यक्ति के चहरे पर प्रकाश की किरण दिखे, जिसमें गरीब से गरीब आदमी यह महसूस करें कि यह उसका देश है जहां जातिवाद न हो, ऊँच-नीच, द्युवाछूत न हो गांधी जी नशीली वस्तुओं के विरोधी थे। 1915 में भारत, जब दक्षिणी अफ्रीका से आयें तथा चंपारण में नील की खेती करने वालों के साथ जो 'ाोषण सरकारी तंत्र कर रहा था उसके विरोध में संघर्ष कर किसानों को अधिकार दिलाने का कार्य किया। इस कार्य की सफलता ने भारतीयों में यह विश्वास पैदाकर दिया कि अंग्रेजी सरकार अजेय नही है जो जनता में भय व्याप्त था वह समाप्त हो गया। जनता ने गांधी जी के हर आन्दोलन में साथ दिया। चाहे वह असहयोग आन्दोलन हो, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, दांडी मार्च, नमक कानून तोड़ने का या भारत छोड़ो आन्दोलन हो, देशवासियों, बलिदानियों, महान क्रान्तिकारियो के अथक प्रयासों व सहयोग से देश आजाद हुआ। आज सम्प्रदायिक जातिवादी पाखंडी शक्तियां गांधी जी नाम लेती है। लेकिन ''मेरा जीवन ही मेरा संदेश है'' गांधी के कथन पर एक कदम भी नही चलती। 
रामदुलार यादव ने कहा कि महात्मा गांधी भारत विभाजन से बहुत दुखी थे तथा जन-धन हानि को रोकने के लिए उन्होंने नोवाखाली में पद यात्रा की। सम्प्रादियकता को समाप्त करने प्रेम व भाई-चारा बढ़ाने के लिए बिहार में पद यात्राा की, उन्होंने दिल्ली में भी उपवास किया। वे हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रबल पक्षधर रहे, उनका मानना था सत्य, अहिंसा सत्याग्रह भाई-चारा प्रेम सभी से समता का व्यवाहर देश को शोषण से मुक्त बनायेगा। हमे गांधी जी के बताये रास्ते पर चलने का संकल्प लेकर देश समाज को सुदृण करने का संकल्प लेना चाहिए। लाल बहादुर  शास्त्री जी ईमानदारी, नैतिकता की प्रतिमूर्ति थे यह इस बात से प्रमाणित होता है कि उनके लड़के ने 11 किलो मी0 सरकारी गाड़ी का निजी कार्य में उपयोग कर लिया, जब उन्हें पता चला तो उस समय 36 पैसे प्रति किलो मी0 से सरकारी खजाने में रुपये जमा करवा दिये। हमें तथा सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले सभी भाईयो व बहनों को इन महान नेताओ से प्रेरणा लेकर उनके बतायें रास्ते पर चलना ही इनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। कार्यक्रम में सैकड़ों साथी शामिल रहे प्रमुख हैः सी0पी0सिंह, रामदुलार यादव, वीरेन्द यादव, धीरेन्द्र्र यादव, पं मुकेश शर्मा जी, पं विनोद त्रिपाठी, अंशु ठाकुर, राम प्यारे यादव, अवधेश कुमार मिश्रा, सी.पी.छिब्बर, सरदार अवतार सिंह काले, डा0 देवकरण, भीम सिंह चैहान, सोमेन्द्र त्यागी, शिव शंकर वर्मा, एस0एन0 जायसवाल, वेद प्रकाश जी, मंजू सिंह, संतोष मिश्रा, सत्येन्द्र मोगिया, सपना मिश्रा, सम्राट सिंह यादव, राकेश राम, दयाल 'ार्मा, पं कृष्ण कुमार दीक्षित, जे0एन0 शर्मा, शंकर यादव, दिलीप गुप्ता, भूषण गुप्ता, कुवर पालसिंह, श्रीराम कुशवाह, अजेश कुशवाहा, अवधेश, सुरेन्द्र यादव, उपेन्द्र यादव, गृड्डु यादव, मकसूद, सिवानंद चैबे, नाग्रेन्द्र मोर्य, दीपक यादव, अभिषेक यादव, महेन्द्र यादव, जितू, आर्यन, सर्वेश यादव विनोद यादव, विकास यादव, सोनू हाजी मो0 सलाम, सुरेश कुमार, प्रेमचन्द्र पटेल, संजीव गर्ग, हिमान्सू, केदार, अखिलेश शुक्ला, विजय वीर, हरि किशन यादव, रविन्द्र नाथ मिश्रा, रोहित मिश्रा, अजयीवर, लल्ला सिंह, इजहार, शंभू, सुभास यादव, ओम प्रकाश अरोड़ा, मुनीम यादव व विजय मिश्रा। 


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