राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 पर विशेष
साधारण मानव से महामानव संत महात्मा तक का सफर
सत्य अहिंसा और सत्याग्रह द्वारा ऐसे भारत का सपना जिसमें में गरीब से गरीब आदमी महसूस करेकी यह उसका देश है इसके निर्माण में उसकी आवाज का महत्व है गांधी जी ने कहा कि मैं ऐसे भारत की कोशिश करूंगा जिस में ऊंच-नीच का कोई भेदभाव न हो जातियां मिल जुल कर रही हो ऐसे भारत में अस्पृश्यता और शराब तथा नशीली चीजों के अनिष्टों के लिए कोई स्थान न हो उसमें स्त्रियों को पुरुषों के सामान अधिकार मिले सारी दुनिया से हमारा संबंध शांति और भाईचारे का हो यही मेरे सपनों का भारत है प्रश्न यह है कि आज महात्मा गांधी की 150 वी जयंती के अवसर पर क्या हम मजबूती से कह सकते हैं कि हमने राष्ट्रपिता के सपनों को पूर्ण किया है उत्तर पूर्ण सत्य नहीं हो सकता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन में कैसे प्रकाश की किरण पहुंचे उसका कैसे सर्वांगीण विकास हो उसके लिए प्रयासरत थे उनका मानना था कि जब भारत आजाद होगा तो यहां पर रहने वाले सभी भारत वासियों के लिए अवसर की समानता होगी सबको न्याय मिलेगा आपस में सौहार्द प्रेम भाईचारा होगा लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों क्रांतिकारियों व अमर शहीदों के त्याग बलिदान ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका तो निभाई लेकिन जैसा भारत महात्मा गांधी सुभाष चंद्र बोस सरदार भगत सिंह बनाना चाहते थे कि आजादी के बाद भारत में मानव द्वारा मानव का शोषण नहीं होगा समता समानता न्याय भाईचारा बढ़ेगा सभी को सामाजिक शैक्षणिक राजनैतिक आर्थिक व सांस्कृतिक आध्यात्मिक उन्नति का समान अवसर मिलेगा वह सोच अधूरी रह गई जातिवाद धार्मिक पाखंड ने और गहरी जड़े जमा ली है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा कि जातिवाद राष्ट्र के विकास के लिए बाधक व हानिकारक है
सांप्रदायिक शक्तियां छंदम राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णुता पैदा कर समाज को बांटने का कार्य कर रही जो देश के चौमुखी विकास में रोड़ा है गांधी जी हिंदू मुस्लिम एकता के प्रबल पक्षधर रहे इसके लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया 2 अक्टूबर 18 69 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी का जीवन सादगी पूर्ण उच्च विचार युक्त सत्य अहिंसा सत्याग्रह का संदेश देश-दुनिया के लिए प्रेरणा बन गया गांधी जी अकेले गुजरात के नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के महान प्रकाश पुंज है अपनी कार्यशैली सद्भावना भाईचारा न्याय बंधुत्व को प्रगाढ़ बनाने तथा समता समानता के लिए संघर्ष ने उन्होंने सामान्य मानव से महामानव संत महात्मा बना दिया राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अन्याय व गुलामी के विरुद्ध देश में ही नहीं विदेशों में भी संघर्ष किया तथा यातनाएं झेली लेकिन वह सेवा और त्याग के संकल्प से कभी पीछे नहीं हटे 1893 में एक मुकदमे की पैरवी के लिए दक्षिण अफ्रीका गए मुकदमे में सफलता मिली 1898 में डरबन में बसे हिंदुस्तानियों के वकील के रूप में सेवा प्रदान की 1904 में फिनिक्स आश्रम की स्थापना की महान लेखक रस्किन की पुस्तक अंटू दिस लास्ट का अध्ययन किया पुस्तक पढ़कर गांधी के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ जोहन्स वर्ग में 1910 में टॉलस्टॉय फार्म की स्थापना की गांधी जी को जब गोपाल कृष्ण गोखले जी 1912 में दक्षिण अफ्रीका में मिले तो उन्होंने भारत में अंग्रेजों के विरुद्ध चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में बताया तथा कहा आप हिंदुस्तान में आकर देश को आजाद कराने में अपना योगदान दें आप जैसे ही लोगों के प्रयास से ही भारत को विदेशी दासता से छुटकारा मिल सकता है उसी समय गांधी जी ने स्वदेस देश लौटने का मन बना लिया तथा 1915 में भारत लौट आए देश सेवा में लग गए 1917 में चंपारण के नील की खेती करने वाले किसानों के शोषण के विरुद्ध सत्याग्रह किया आंदोलन सफल रहा किसानों की मांगे सरकार ने मान ली उसके बाद गुजरात में मिल मजदूर हड़ताल में महात्मा गांधी ने पूर्ण भूमिका निभाते हुए मजदूर संगठन की स्थापना की 1920 में असहयोग आंदोलन ब्रिटिश साम्राज्य के विरोध में शुरू किया 1922 में चौरी चौरा में 22 सिपाहियों की हत्या के बाद आंदोलन स्थगित कर दिया गया 1930 में नमक कानून तोड़कर ब्रिटिश हुकूमत की चूल्हे हिला दी हजारों लोग गांधी जी के साथ दांडी मार्च में शामिल रहे 5 मई को गांधी जी ने गिरफ्तारी दी सविनय अवज्ञा आंदोलन ब्रिटिश सरकार के विरोध में शुरू हो गया जैसे जैसे देश का राजनीतिक वातावरण आंदोलन के माध्यम से बदला उसी के साथ सामाजिक राजनीतिक क्रांति की शुरुआत हो गई असंख्य महिलाओं और पुरुषों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई तथा शराब की भट्टीओ के सामने प्रदर्शन कर बंद करने का आह्वान किया लगातार संघर्ष करते हुए गांधीजी अनेकों बार जेल गए भारत की जनता की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने छुआछूत को समाप्त करने स्वच्छता अभियान चलाने वह शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य करते हुए 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का मूल मंत्र करो या मरो का नारा देकर किया 1942 से 1944 तक आगाखान महल में नजरबंद रहे वही 22 फरवरी को कस्तूरबा गांधी का देहावसान हुआ वहां भी गांधी जी ने 21 दिन का उपवास किया 1946 में संप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए नोवाखाली की पदयात्रा की तथा संप्रदायिक सद्भाव हिंदू मुस्लिम एकता के लिए बिहार में पदयात्रा कर लोगों में विश्वास पैदा किया गांधी जी के नेतृत्व में 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से भारत स्वतंत्र हुआ लेकिन गांधी जी को भारत का विभाजन व उससे हुए जनधन की हानि का असहनीय दुख हुआ जनहानि को रोकने के लिए भी उन्होंने पूर्ण उपवास किया दिल्ली में शांति स्थापना के लिए 5 दिन का उपवास किया 30 जनवरी 1948 को राष्ट्रपिता महामानव महात्मा को धार्मिक उन्मादी ने गोलियों से भून दिया जो महात्मा जीवन भर सत्य अहिंसा सत्याग्रह प्रेम सद्भाव भाईचारा देश में स्थापित करने के लिए जेल यात्रा पदयात्रा वा उपवास किया हो जिसके पास छह चरखे दूध के लिए एक बर्तन खादी के छह लंगोट इतनी धोती व तोलिया के सिवा अपना कुछ और निजी ना हो जो संत महात्मा का जीवन जिया हो उनसे देशवासियों को प्रेरणा लेकर मानवता के उत्थान के लिए देश के निर्माण के लिए अपने को समर्पित करना चाहिए गांधी जी को कोई गोली मार नहीं सकती उनके द्वारा किए गए देश और समाज को सुदृढ़ बनाने के कार्य तथा उनके विचार कि मेरा जीवन ही मेरा संदेश है कभी समाप्त नहीं होंगे आज देश के कुछ नेता गांधीजी बनना चाहते हैं उनकी नकल करना चाहते हैं लेकिन गांधीजी का त्याग बलिदान देश और समाज के प्रति उनके मन में महात्मा गांधी जैसा भाव और विचार नहीं है वह सब सुविधा भोगते हुए गांधीजी बनना चाहते हैं झूठ मुठ शहीद होना चाहते हैं वह मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ताओं के मन में संदेह पैदा करता है कि शायद ही कोई और गांधी भारत भूमि पर अवतरित हो मैं गांधीजी के बारे में कुछ विद्वानों के विचार रखते हुए तथा उनका स्मरण करते हुए गौरवान्वित हो रहा हूं अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा है कि हाड मास का बना हुआ है ऐसा मनुष्य वास्तव मैं इस पृथ्वी पर हुआ होगा इस पर आने वाली पीढ़ियां शायद ही विश्वास करें श्री राज गोपालाचारी ने कहा है कि महात्मा गांधी से अधिक किसी मनुष्य ने भारत माता और भारतीयों को प्यार नहीं किया होगा
लेखक
रामदुलार यादव
समाजवादी चिंतक
चेयरमैन ,अध्यक्ष लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट
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