Hot Posts

6/recent/ticker-posts

कोहली सरनेम की युवती की सामूहिक दुष्कर्म के बाद की थी हत्या

 दिल्ली : क्रिकेट मैच में पाकिस्तान के खिलाफ विराट कोहली के शतक से झल्लाए पाकिस्तानियों ने वहां रहने वाले कोहली परिवार की एक युवती से सामूहिक दुष्कर्म किया और इसके बाद उसकी हत्या कर दी। इस जघन्य वारदात के बाद भी उन युवकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई क्योंकि पाकिस्तान में ऐसे धार्मिक उन्माद को राजनीतिक और धार्मिक संरक्षण प्राप्त है। इसी तरह तालिबान शासन में अफगानिस्तान में एक सिख कारोबारी को गोलियों से भून दिया गया। रूह कंपा देने वाले ये सच पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों ने बताई है। इन देशों में गुलामों से भी बद्तर जिंदगी जीने पर मजबूर अल्पसंख्यक हंिदूू, सिख, जैन, बौद्ध व ईसाइयों को भारत की नागरिकता देने का कानून लाने पर देशभर में हंगामा हो रहा है। नागरिक संशोधन कानून (सीएए) पर हंगामे के बीच शरणार्थी अल्पसंख्यकों ने मंगलवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में उक्त कानून पर लोगों से सहानुभूतिपूर्वक विचार की अपील की है। ये लोग देश के विभिन्न शरणार्थी कैंपों से दिल्ली आए थे।


पाकिस्तान से आए शरणार्थी भागचंद बेलजी ने बताया कि कराची में महिलाओं का अपहरण, बलात्कार व धर्मपरिवर्तन आम बात है। वहां ऐसे लोगों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। इसी तरह शरणार्थी चीतम शर्मा, अजरुन सिंह, दयाल दास व प्यारा सिंह समेत अन्य ने भी अपनी व्यथा सुनाई। पाकिस्तान से शरणार्थी के रूप में आई आरती अपने 20 दिन की नवजात बेटी के साथ आई थीं, जिसका नाम नागरिकता रखा गया है। कार्यक्रम में सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे व शंकर लालवानी भी थे। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से आए गोवर्धन दास मेघवाल ने भावुक अपील करते हुए कहा कि वह खुशी से भारत नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समेत अन्य इस्लामिक पड़ोसी मुल्कों में हमारे साथ बर्बरता हो रही है। आप हमारी मदद करें। नागरिकता संशोधन कानून का विरोध न करें।


वहीं, अफगानिस्तान से आए प्यारा सिंह ने कहा कि सीएए का विरोध कर रहे लोग हमारी तकलीफ नहीं समझ सकते। तालिबान के शासन में मेरे भाई को गोलियों से भून दिया गया। जीवन और कारोबार पर ग्रहण लग गया। हमें जजिया कर देना पड़ता था। शिया ईरान जा सकते हैं। सुन्नी पाकिस्तान जा सकते हैं। सिख और हंिदूू भारत नहीं आएंगे तो कहां जाएंगे? पाकिस्तान के सिंध से आए दयाल सिंह ने बताया कि हम लोगों को शवदाह से भी रोका जाता है। आस-पास के मुस्लिम कहते हैं कि इससे बदबू आती है। आप (प्रदर्शनकारी) हमारा नहीं, मानवता और इंसानियत का विरोध कर रहे हैं।


सौ से ज्यादा शरणार्थियों ने सुनाई जुल्म का दास्तां: कार्यक्रम में 100 से ज्यादा शरणार्थियों ने अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तां सुनाई। साथ ही उम्मीद जताई कि भारत की नागरिकता मिलने के बाद वे लोग भी सम्मान से जीवन जी सकेंगे। सम्मान की जिंदगी की खातिर ही वह पाकिस्तान व अन्य इस्लामिक मुल्कों से अपना घर-कारोबार, जमीन व रिश्तेदार छोड़कर यहां आए हैं।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ