हम लोगों में से कई लोगों की आदत होती है कि वह फोन सिर के पास ही रख कर सोते हैं। यह आदत सेहत के लिए खतरनाक है।
इसका कारण है रैडिएशन। फोन ही नहीं, वाई-फाई राउटर, माइक्रोवेव ओवन आदि उपकरण भी रैडिएशन के जरिए हमें नुकसान पहुंचाते हैं। फोन को अगर 'प्लेन मोड' में रखा जाए तो रैडिएशन के खतरे से कुछ बचा जा सकता है। रात में सोते वक्त मोबाइल फोन को साथ रखना नुकसान देह हो सकता है।इससे तमाम दिक्कतें हो सकती हैं, जिनमें प्रमुख हैं- सिरदर्द, सिर में झनझनाहट, लगातार थकान महसूस करना, चक्कर आना, डिप्रेशन, नींद न आना, आंखों में सूखापन , काम में ध्यान न लगना, कानों का बजना, सुनने में कमी, याददाश्त में कमी, पाचन में गड़बड़ी, अनियमित धड़कन, जोड़ों में दर्द आदि। साल 2016 में आई डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया था कि मोबाइल से कैंसर तक होने की आशंका हो सकती है। हर दिन आधे घंटे या उससे ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करने पर 8-10 साल में ब्रेन ट्यूमर की आशंका 200-400 फीसदी बढ़ जाती है। ये भी एक रिसर्च में पाया गया है कि जो युवक बहुत ज्यादा सेल फोन का इस्तेमाल करते हैं , उनके स्पर्म यानि वीर्य की संख्या कम हो सकती है l कैसे हम कुछ आसान उपायों को अपनाकर रैडिएशन से बच सकते हैं-घर में रखे माइक्रोवेव ओवन, मोबाइल फोन, वाई-फाई कनेक्शन से रेडिएशन का खतरा बहुत बना रहता है।वाई-फाई के राउटर को सोने, बैठने या पढ़ने की जगह से कम से कम 5 सेंटीमीटर की दूरी पर ही लगाएं। रात को सोते वक्त यर मोबाइल फोन को एयरोप्लेन मोड में रखकर ही सोएं। बेहतर होगा कि अपना मोबाइल बिल्कुल आफ करके ही सोएं l
प्रस्तुति-विनय कुमार मिश्र
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