नई दिल्ली -नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने ऐक्ट के कई पहलुओं को स्पष्ट किया गया है। गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस ऐक्ट को लेकर फैले तमाम तरह के भ्रमों को दूर करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति जन्म, पूर्वजों की भारतीय नागरिकता, रजिस्ट्रेशन और नैचरलाइजेशन के जरिए भारत की नागरिकता हासिल कर सकता है।
मंत्रालय की प्रवक्ता ने लिखा, 'कोई भी विदेशी व्यक्ति रजिस्ट्रेशन या फिर नैचरलाइजेशन के जरिए भारत की नागरिकता हासिल कर सकता है। भले ही वह किसी भी समुदाय का हो।' उन्होंने कहा कि इस ऐक्ट के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर उत्पीड़न का शिकार होने वाले 6 समुदायों के अल्पसंख्यक नागरिकता हासिल कर सकते हैं।
*भारतीय नागरिकों पर किसी भी तरह से लागू नहीं होता ऐक्ट*
गृह मंत्रालय ने कहा कि यह ऐक्ट दुनिया के किसी भी शख्स के लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने के नियमों पर रोक नहीं लगाता। यह ऐक्ट भारतीय नागरिकों पर किसी भी तरह से लागू नहीं होता। उन पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। गृह मंत्रालय के मुताबिक बीते 6 सालों में 2,830 पाकिस्तानी, 912 अफगानी और 172 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता दी गई है। यही नहीं इनमें से ज्यादा लोग इन देशों के बहुसंख्यक समुदाय के थे।
*कोई भी विदेशी कर सकता है नागरिकता के लिए आवेदन*
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता ने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, 'ऐसा कोई भी व्यक्ति अब भी तय नियमों के तहत भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। जिसे रजिस्ट्रेशन या फिर नैचरलाइजेशन कहा जाता है।' उन्होंने कहा कि भारत सरकार की ओर से समय-समय पर दूसरे देशों से भारत आने वाले लोगों को नागरिकता देने के प्रावधान तय किए गए हैं, जैसे 1964 से 2008 के दौरान 4.61 लाख तमिलों को भारत की नागरिकता दी गई है।
*तीन पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए मेकेनिज्म*
गृह मंत्रालय ने इस पर फैले भ्रमों को दूर करते हुए कहा कि यह ऐक्ट विदेशों में रह रहे किसी भी धार्मिक समूह को टारगेट नहीं करता। यह ऐक्ट तीन पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का शिकार हुए धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने का मेकेनिज्म है।
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