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साइबर क्राइम एक चुनौती है और प्रदेश सरकार इस चुनौती के लिए है तैयार : योगी आदित्यनाथ

लखनऊ : साइबर क्राइम विवेचना और महिलाओं एवं बालकों के विरुद्ध अपराधों पर उ.प्र. के अभियोजकों एवं विवेचकों की राज्य स्तरीय कार्यशाला का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया।


कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि साइबर क्राइम की बढ़ती दुष्प्रवृत्ति के बारे में जब देश के सबसे बड़े प्रदेश में लोगों में आशंका उत्पन्न हो रही है तो यह साइबर कार्यशाला अपराध की रोकथाम के लिए एक ठोस निष्कर्ष पर पहुँचेगी, ये मेरा विश्वास है। उन्होंन कहा कि हर कानून अपने आप में परिपूर्ण है। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि कानून की परिपूर्णता उसको लागू करने वाले लोगों की सामर्थ्य और क्षमता पर निर्भर करती है।मुख्यमंत्री ने कहा कि साइबर क्राइम एक चुनौती है और प्रदेश सरकार इस चुनौती के लिए तैयार है। प्रदेश में हर रेंज स्तर पर एक फॉरेंसिक लैब और साइबर थाने की स्थापना की जाएगी। उत्तर प्रदेश सरकार का अपना एक फॉरेंसिक और पुलिस विश्वविद्यालय भी होगा। जिससे हम अपराध पर प्रभावी नियंत्रण के साथ-साथ कानून का राज स्थापित करने की ओर तेजी से कार्य कर सकेंगे।मुख्यमंत्री ने कहा कि दो दिनों की इस कार्यशाला में महिलाओं और बालकों के खिलाफ होने वाले अपराधों और साइबर क्राइम से जुड़े सभी मुद्दों पर एक व्यापक कार्य-योजना बनाकर कानून का राज स्थापित कर प्रदेश में सुशासन का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनपद में पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा क्षेत्र में भ्रमण कर सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी खुले में न सोए, रैन बसेरों में सुविधाओं का उपयोग जरूरतमंदों द्वारा किया जाए व एसएसपी द्वारा संबंधित थानाध्यक्षों के माध्यम से सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं।पॉक्सो से सम्बंधित मामलों में प्रतिबद्धता तय करते हुए समयबद्ध ढंग से हम आगे बढ़ाएं तो अपराधी को हम समय से सजा दिला देंगे। समय से मिला न्याय ही न्याय कहलाता है। तत्काल घटित घटना पर मिली तत्काल सजा एक बहुत बड़ा संदेश है। दुष्प्रवृत्ति में संलिप्त अन्य तत्वों को भी यह एक चेतावनी है। जब तक अपराधी के मन में भय नहीं होगा तब तक वह कानून का सम्मान नहीं सीखेगा।मुख्यमंत्री ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग कमिटी के जाँच में जो तथ्य सामने आए, उनके आधार पर अपराध घटित होने के 6-7 दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल होती है और 5-6 दिन की सुनवाई के अंदर अपराधी को सजा दिलाई गई है। किसी निरपराध व्यक्ति के खिलाफ अनावश्यक रूप से कोई कार्रवाई न होने पाये लेकिन कोई अपराधी भी न बचने पाये। इसलिए विवेचना ढंग से की जाए। और फिर अभियोजन द्वारा अपराधी को सजा दिलाई जाए।


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