Hot Posts

6/recent/ticker-posts

आंकड़ों में तो मौत मर रही है



सरकारों के लिए नागरिकों की मौत क्या महत्व रखती है? आमतौर पर यह एक आंकड़ा भर है। राजस्थान के कोटा जिला चिकित्सालय में हाल ही में सौ से अधिक नवजात शिशुओं की मौत हुई है। समाचार माध्यमों का दावा है कि अस्पताल के सभी जीवन रक्षक यंत्र बीमार हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कैमरे के सामने कहा,-मृत्यु अटल है। कहां होगी, कैसे होगी सब तय है। ऐसा निर्दयी बयान कौन दे सकता है। निश्चित ही जिसका कोई अपना न मरा हो। सरकार भी ऐसे ही बयान देती हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बता रहे हैं कि आंकड़ों में मौत मर रही है। पिछले पांच-छह वर्षों में बच्चों की मौत में कमी आई है। इस बार मरे बच्चे तो थोड़े से हैं। इनकी निर्दयता मानवीय संवेदनाओं को कुचल डालती है। अंगुलिमाल डाकू के किस्से सुने थे।वह लूटने के साथ लोगों की अंगुलियां काट लेता था।उन अंगुलियों की माला पहनने से उसका नाम अंगुलिमाल पड़ा। क्यों पहनता था वह अंगुलियों की माला? सरकारों के आंकड़े अंगुलिमाल की वहशत का जवाब देते हैं। यह कांग्रेस की सरकार की वहशत की कहानी नहीं है। भाजपा को इस बार मौका है। उनके पास भी आंकड़ों की लंबी फेहरिस्त है जिसमें उतनी निर्दयता और उतनी ही वहशत मिलेगी।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ