लोनी। नगर पालिका ईओ के बलरामनगर कैम्प कार्यालय पर हमला करने के आरोप में पुलिस ने दो सगे भाईयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। जबकि अन्य हमलावरों की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है।
आरोपी नगर पालिका की गाडियों व पम्पसेट की रिपेयरिंग का काम करते थे, लेकिन कुछ दिनों से यह कार्य दूसरा मेकेनिक करने लगा था। जिसके कारण आरोपी नाराज था और साथियों के साथ मिलकर ईओ के कैम्प कार्यालय पर हमला किया था।
गौरतलब है कि 16 जनवरी की शाम नगर पालिका ईओ शालिनी गुप्ता के बलरामनगर कॉलोनी स्थित कैम्प कार्यालय पर कुछ बदमाशों ने हमला कर तोडफोड व ईओ के सहयोगी महेन्द्र गुप्ता व कुक सूरज के साथ मारपीट की थी। महेन्द्र गुप्ता ने अज्ञात हमलावरों के विरुद्ध लोनी बार्डर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जबकि पुलिस को बताया था कि हमलावरों ने कार्यालय में तोडफोड की तथा उसका मोबाइल भी लूटकर ले गए थे।
पुलिस ने गुरुवार को इस घटना का खुलासा कर दिया है। लोनी बार्डर थाना प्रभारी एसपी सिंह ने बताया कि कच्चा बलरामनगर कॉलोनी निवासी महबूब पुत्र नूरुददीन गत कई वर्षों से नगर पालिका की खराब होने वाली गाडियों एवं पम्पसेट आदि की रिपेयरिंग का काम कर रहा था, लेकिन गत करीब दो माह से ईओ ने महबूब द्वारा समय से कार्य पूरा न करने व अधिक बिल बनाने के कारण यह कार्य दूसरे मेकेनिक नौशाद को सोंप दिया था। पुलिस का कहना है कि इसको लेकर महेन्द महबूब के बीच कहासुनी एवं गालीगलौच भी हुई थी। महबूब ने महेन्द्र गुप्ता को सबक सिखाने के लिए अपने भाई सलीम, साथी आरिफ, दिलशाद उर्फ दिल्लू व आजम एवं दो तीन अन्य साथियों के साथ ईओ के कैम्प कार्यालय पर हमला बोलकर महेन्द्र गुप्ता व कुक सूरज को मारपीट कर अधमरा कर दिया था।
महबूब व उसके भाई सलीम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। जबकि हमले में शामिल उनके साथियों की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है। हमले के दौरान प्रयुक्त की गई आरोपियों की बाइक भी बरामद कर ली गई है।
-महेन्द्र गुप्ता नही पहचानता आरोपियों को
पुलिस ने अपने खुलासे में दावा किया है कि नगर पालिका का कार्य छीनने के कारण महबूब नाराज था तथा उसकी महेन्द्र गुप्ता से कहासुनी व गालीगलौच भी हुई थी। जबकि महेन्द्र गुप्ता का कहना है कि वह महबूब व उसके भाई से कभी मिला ही नही फिर कहासुनी और गालीगलौच कैसे हो सकती है। महेन्द्र गुप्ता के कथनानुसार पुलिस की इस कहानी में कुछ झोल नजर आ रहा है। सवाल यह भी उठता है कि महेन्द्र गुप्ता ने पुलिस को दिए बयान में अपना मोबाइल लुटना भी बताया था, लेकिन पुलिस ने न ही मोबाइल लूट की रिपोर्ट दर्ज की और न ही खुलासे के दौरान मोबाइल बरामद किया है।
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