Hot Posts

6/recent/ticker-posts

जनपद के किसानों को रबी की फसलों के प्रमुख कीट/रोग एवं खरपतवार नियंत्रण के सम्बन्ध में दी जानकारी

 गौतम बुद्ध नगर जिलाधिकारी  बीएन सिंह के निर्देशन में जनपद का कृषि विभाग किसानों तक प्रमुख कार्यक्रमों को पहुंचाने के लिए विभिन्न गतिविधियां संचालित कर रहा है। इस क्रम में गौतमबुद्धनगर जिले के जिला कृषि रक्षा अधिकारी तन्नवी शर्मा ने जानकारी दी है किसान भाईयों रबी की फसलों के प्रमुख कीट/ रोग एवं खरपतवार नियंत्रण हेतु यह नितान्त आवश्यक है कि इन कीटों की पहचान कर इनसे होने वाली क्षति से बचाव हेतु निम्नलिखित सुझाव एवं संस्तुतियों को अपनाना चाहिये, जिनमें गेहूँ माह दिसम्बर में गेहूं की फसल मे दीमक एवं खरपतवार नियंत्रण का कार्य आवश्यक हैं। दीमक यह एक सामाजिक कीट है इसमे 90 प्रति श्रमिक 2-3 प्रति सैनिक एक राजा एक रानी होती है। श्रमिक पीलापन लिए सफेद रंग के पंखहीन कीट है जो गेहूँ की फसल की जड़ों को हानि पहुचाता है, जिससे पूरा पौधा सूख जाता है। दीमक के उपचार के लिए क्लोरोपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी की 3 मिलीलीटर प्रति किलो बीज की दर से बीज शोधन एवं खडी फसल में दीमक के नियंत्रण के लिए क्लोरोपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी की 25 लीटर मात्रा का सिचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए। गेहूं की फसल में चौडी पत्ती वाले खरपतवार नियत्रण के लिये 2-4 डी सोडियम साल्ट 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 625 ग्राम मात्रा/हेक्टेयर या मेटसल्फ्यूरान इथाइल 20 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 20 ग्राम मात्रा एवं संकरी पत्तियों के खरपतवारों के नियंत्रण के लिये सल्फोसल्फ्यूरोन 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 33 ग्राम मात्रा/ हेक्टेयर की दर से बुवाई के 20-25 दिन बाद 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिये। आलू की फसल में माह दिसम्बर में कटवर्म एवं अगेती झुलसा रोग का प्रकोप होता है।इस कीट की सूड़ियों रात्रि में निकलकर आलू के कोमल शूट को जमीन के अन्दर नुकसान पहुचाता है। इसके नियंत्रण के लिए क्लोरोपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी की 2.5 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टर की दर से सिचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए।अगेती झुलसा रोगः- इस रोग से पत्तियों एवं कन्द दोनों प्रभावित होते हैं। आरम्भ में इस बीमारी के लक्षण पुरानी पत्तियों पर छोटे गोल भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है।इस रोग के नियंत्रण के लिए मैकोजैब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 3 किलोग्राम मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। जिला सूचना अधिकारी गौतम बुध नगर।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ