गाजियाबाद : जहां कोरोना कोविड -19 के खौफ ने समस्त संसार की धमनियों में हो रहे रक्त संचार को ही अवरुद्ध कर दिया हो और प्रत्येक मनुष्य किश्तों में सांस लेने को मजबूर हो, ऐसे माहौल में जिला प्रशासन द्वारा, मानवीय सुरक्षा में लिए गए आधे-अधूरे, लोलुपता पूर्ण निर्णय, निश्चित ही समस्या की गंभीरता और प्रशासनिक संवेदनशीलता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे हैं।
जब कोरोना के विरुद्ध सुरक्षात्मक तैयारी में प्रशासन ने जनपद में धारा 144 लगाने के साथ किसी भी प्रकार के समारोह आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कथा आयोजन, माॅल, सुपर बाजार, शैक्षिक संस्थान और व्यावसायिक संगठनों आदि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यहां तक कि सभी प्रकार की परीक्षाएं और प्रतियोगिताएं तक स्थगित कर दी गईं हैं, तो फिर *साप्ताहिक बाजार और दैनिक हाटों* पर प्रतिबंध क्यों नहीं ?
क्या इन बाजारों में कोरोना वाइरस से कोई खतरा नहीं ? क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से कोरोना वाइरस *कोविड -19* को चेतावनी जारी की गई है कि वह इन बाजारों में जुटने वाली भीड़ को प्रभावित नहीं करेगा ?
नहीं तो फिर ये आधे-अधूरे आदेश क्यों ?
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