दिल्ली: फारसी से हिंदी अनुवाद:मौलाना एजाज अहमद खान रज्जाकी! मौलाना रूम लिखते है कि, एक आदमी तूफान के आने के कारण एक पेड के नीचे संरक्षण लेने के लिये खडा था।
इतने मे एक दूसरे आदमी का उसके सामने से गुजर हूआ तो उसने कहा कि मियां पेड के पास से हट जाओ जब तूफान आता है तो पेड़ो पर बिजलियां गिरने का संभावना अधिक होता है!
उस आदमी ने उत्तर दिया कि मेरा रब मेरा मालिक है और मुझे उस पर पूरा भरोसा है!
उसके बाद उस पेड के पास से एक दूसरे व्यक्ति का गूजर हुआ उसने इस आदमी को यही नसीहत किया कि पेड़ के पास से हट जाओ!
पेड के निचे खडे आदमी ने दुबारा फिर वही उत्तर दिया!
आखिर एक तीसरे राहगीर का उस पेड़ के पास से गुजर हुआ उसने भी उस व्यक्ति को पेड़ के पास से हटने को कहा!
पेड़ के नीचे खड़े आदमी का एक ही जवाब था अल्लाह मालिक है और वही मेरा रक्षा करने वाला है!
इतने मे बहुत भयंकर तूफान आया पेड़ पर बिजली गिरी और वह आदमी मर गया!
उस पेड से जरा दूर एक दूसरा व्यक्ति खडा होकर यह सारा दृश्य देख चूका था उसने कहा कि मृतक व्यक्ति का खुदा पर बहूत मजबूत इमान था इस लिये अल्लाह को इसे बचा लेना चाहिए था!
मौलाना रूम फ़रमाते है कि वह तीन बंदे अल्लाह की तरफ से ही भेजे गए थे जो मरने वाले व्यक्ति को समझा रहे थे कि बच जाओ अपने को बचा लो मगर यह शख्स उनकी बातें ना मानकर अपने को हलाक व तबाह कर लिया!
किताब का नाम:हेकायत ए रूमी पेज न0144
हमें वर्तमान स्थिति में मौलाना रूमी की इस कहानी से एक सीख लेकर हम मुसलमानों को एक इबरत हासिल करना चाहिए और यह बात मान लेनी चाहिए कि जो लोग हम सबको करोना वायरस के खतरों से बार-बार आगाह कर रहे हैं उससे बचते हुये हर संभव सावधान रहें।
0 टिप्पणियाँ