कोरोना के भय से लॉकडाउन/कर्फ्यू के कारण जब करोड़ों लोग भारी मुसीबतें झेल रहे हैं, तो उस समय कट्टर हिंदुत्वी ताकतों द्वारा मुसलमानों के विरुद्ध सांप्रदायिक जहर फैलाकर लोगों को धर्म के नाम पर आपस में बांटने की कोशिशों को बेहद शर्मनाक करार देते हुए किसान, खेत मजदूर, औद्योगिक व बिजली मजदूर, ठेका कर्मचारियों और छात्र नौजवानों के 16 संगठनों ने ऐसी कार्रवाइयों पर तुरंत लगाम कसने की मांग की है। किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां और मजदूर नेता राजविंदर सिंह द्वारा जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया है कि निजामुद्दीन मरकज द्वारा किए गए एक धार्मिक कार्यक्रम को आधार बनाकर कुछ सांप्रदायिक संगठन मुसलमानों द्वारा जानबूझकर कोरोना वायरस फैलाकर देश में लोगों को मौत के मुंह में डालने जैसा घटिया प्रचार करके अपने सांप्रदायिक फासीवादी एजेंडे को आगे बढ़ाया जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जिस समय निजामुद्दीन मरकज में 13 से 15 मार्च के बीच मुसलमान इकट्ठा हुए थे, उसी समय व उसके बाद भी अन्य धर्मों के बड़े-बड़े एकट्ठ होने, लॉकडाउन के ऐलान के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 25 मार्च को एकट्ठ करने और सरकारों की बदइंतजामी की बदौलत इकट्ठा हुए हजारों मजदूरों द्वारा अपने घरों को वापिस जाने के वीडियो सामने आने के बावजूद सिर्फ मुसलमानों को ही निशाना बनाने वाले नेताओं को रोकने की जगह प्रोत्साहन देकर केंद्र सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए लोगों को धर्म के नाम पर बांटने की राजनीति कर रही है।
उन्होंने आज प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र के नाम दिए संदेश में ऐसी कार्रवाइयों को रोकने और हुकूमत द्वारा लोगों के लिए दूध, राशन, दवाइयां और कोरोना के इलाज के लिए बड़े शासकीय कदम उठाने का जिक्र तक ना करने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। किसान-मजदूर नेताओं ने दिल्ली की आप सरकार और पुलिस को निजामुद्दीन मरकज में फंसे मुसलमानों को बाहर निकालने के लिए प्रबंधकों द्वारा बार-बार लिखकर अर्जियां देने के बावजूद भी उनके द्वारा समय रहते उचित कदम उठाने की जगह माहौल बिगाड़ने के लिए जानबूझकर अनदेखी की गई। अब प्रबंधकों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करने की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि केजरीवाल सरकार भी भाजपा वाली राह पर चल रही है।
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे कोरोना के भय से भुखमरी से बचाव हेतु जूझते हुए सांप्रदायिक फासीवादी कदमों के खिलाफ सचेत होकर इनको मात देने के लिए आगे आएं। किसान-मजदूर नेताओं ने कहा कि दिसंबर 2019 में विदेशी मुल्कों में कोरोना द्वारा तबाही मचाने के बावजूद भी केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इसकी रोकथाम के लिए विदेशों से आने वाले लोगों के हवाई अड्डे पर टेस्ट करने, रिपोर्ट आने तक अलग रखने और सावधानियां बरतने के लिए शिक्षित करने जैसे उचित कदम नहीं उठाए गए।
इसके अलावा भारत के लोगों के इस रोग से पीड़ित होने के हालात में लॉकडाउन जैसे कदम उठाने के कारण पैदा होने वाली समस्याओं के हल के लिए राशन, दवाइयों के अलावा प्रवासी मजदूरों के रहने या अपने घरों को वापस जाने आदि के प्रबंध करने के लिए अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई गई, जिसके कारण शासकीय ढांचा स्वयं इस बीमारी को फैलाने व लोगों को भारी मुश्किलों के मुंह में धकेलने का दोषी है। उन्होंने कहा कि इसके कारण लोगों में हुकूमतों के प्रति रोष फैल रहा है जिससे मोदी हुकूमत को बचाने के लिए कट्टर हिंदुत्वी ताकतों और कुछ चैनलों द्वारा मुसलमानों के विरुद्ध नफ़रत भड़काई जा रही है।
बयान जारी करने वाले संगठनों में भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां), किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, टेक्सटाइल-हौजरी कामगार यूनियन, जल सप्लाई व सेनिटेशन कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन पंजाब रजि. नं 31, पंजाब खेत मजदूर यूनियन, नौजवान भारत सभा (ललकार), पीएसयू (शहीद रंधावा), टेक्निकल सर्विसेज यूनियन, नौजवान भारत सभा, मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्स यूनियन, कारखाना मजदूर यूनियन, गुरु हरगोबिंद थर्मल प्लांट लहिरा मुहब्बत ठेका कर्मचारी यूनियन आज़ाद, पॉवरकम एण्ड ट्रास्को ठेका कर्मचारी यूनियन, ठेका कर्मचारी संघर्ष कमेटी पावरकम ज़ोन बठिंडा और पंजाब रोडवेज/पनबस कांट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन शामिल हैं।
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