क्वारंटीन ऐतिहासिकता
लैटिन मूल के शब्द क्वारंटीन जिसका मूल अर्थ होता है चालीस। प्राचीन समय में उन जहाजों को जिसमें किसी यात्री के रोगी होने अथवा जहाज पर लदे माल में संक्रामक रोग होने का संदेह होता था तो उस जहाज को बंदरगाह से दूर चालीस दिन ठहरना पड़ता था। ग्रेट ब्रिटेन में प्लेग संक्रमण प्रसार को रोकने के प्रयास स्वरुप यह व्यवस्था प्रारम्भ की गई । ग्रेट ब्रिटेन द्वारा प्रारम्भ की गई इस
व्यवस्था के अनुसार इस शब्द का प्रयोग पीछे ऐसे मनुष्यों, पशुओं और स्थानों को दूसरों से अलग रखने के सभी उपायों के लिये किये जाने लगा जिनसे किसी प्रकार के रोग के संक्रमण की आशंका हो। अब रोग विशेष के संक्रमण प्रसार को रोकने के लिये क्वारंटीन अवधि का निर्धारण आवश्यकतानुसार किया जाता है ।
क्वारंटाइन का अर्थ (संक्रामक रोग के प्रसार को रोकने के लिए अलगाव संगरोधन)
किसी व्यक्ति का किसी घोषित संक्रमित महामारी के संक्रमण शक होने पर या किसी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर या संक्रमित क्षेत्र का भ्रमण करने पर किसी निश्चित अवधि के लिए अपने पारिवारिकजनों एवं देश के अन्य नागरिकों को इसके संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए अपने घर में रहते हुए या किसी निश्चिन्त स्थल पर अपने आप को घर एवं समाज के दूसरे लोगों से अलगाव । अर्थात् क्वारंटाइन/करन्तीन का तात्पर्य, एक अवधि, या अलगाव के एक स्थान से है, जिसमें लोग या जानवर, जो कहीं और से आए हैं, या संक्रामक रोग के संपर्क में आए हैं, उन्हें रखा जाता है ।
क्यों होता है क्वारंटाइन आवश्यक
वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए ताकि पारिवारिकजन एवं समाज इसके संक्रमण से सुरक्षित रह सके।
कैसे किया जा सकता है क्वारंटाइनः
केन्द्र /राज्य सरकारों द्वारा किसी घोषित महामारी के सम्बन्ध में घोषित नियमों का अनुपालन करते हुए किया जा सकता है क्वारंटाइन ।
वर्तमान वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के संक्रमित शक होने पर किस प्रकार किया जाना चाहिए होम क्वारंटाइन ? -
- योग्य चिकित्सक से चिकित्सीय परामर्श पश्चात क्वारंटाइनःके लिए टॉयलेट युक्त हवादार कमरे का करें चुनाव ।
- कमरे में अन्य किसी दूसरे के होने पर घोषित सोशल डिस्टेसिंग पालन यानि एक दूसरे से 1 मीटर से अधिक की दूरी बनाये रखना आवश्यक ।
- घर में पानी, बर्तन, तौलिया और सार्वजनिक उपयोग की अन्य वस्तुओं को न छुए जाना ।
- संक्रमित शंकित व्यक्ति द्वारा प्रयोग में लाई जा रही वस्तुओं की प्रतिदिन सफाई , एवं अन्य किसी के द्वारा उनके प्रयोग पर रोक ।
- साबुन से हाथ धोना और कम से कम 80 फीसदी अल्कोहल वाले हैंड सैनेटाइजर का इस्तेमाल किया जाना ।
- संक्रमित व्यक्ति द्वारा घर के बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों से दूरी बनाकर रखना ।
- सर्जिकल मास्क लगाकर रहना, बदले हुये मास्क का डिस्पोजल सही तरीके से किया जाना ।
- कोरोना वायरस संक्रमण का शक होने की दशा में सार्वजनिक समारोह, शादी, पार्टी आदि में 14 दिन या स्वस्थ होने तक सम्मिलित नहीं होना ।
- सरकार द्वारा महामारी से सम्बन्धित घोषित सहायता दूरभाष नम्बरों पर सम्पर्क कर चिकित्सा व इसके प्रसार को रोकने सम्बन्धी अन्य परामर्श लेना ।
किसको किया जा सकता है क्वारंटाइन
विश्व स्वास्थ्य संगठन/केन्द्र /राज्य सरकारों द्वारा महामारी के सम्बन्ध में घोषित लक्षणों के आधार पर संदेहास्पद व्यक्ति या चिकित्सक/भारसाधक अधिकारी की आज्ञा पर उस व्यक्ति को जिसको क्वारंटाइन करना आवश्यक हो।
क्वारंटाइन की अवधि
सरकार द्वारा घोषित दिवसों के अनुसार होता है इसका निर्धारण ।
(नोट- कोरोना के सन्दर्भ में न्यूनतम 14 दिवसीय है क्वारंटाइन अवधि , क्योंकि 14 दिवसीय अवधि में नोवेल कोविड -19 वायरस से संक्रमण होने पर इसके संक्रमण लक्षणों की हो जाती है स्पष्टता ।)
क्वारंटाइन अवज्ञा पर क्या लागू हो सकते है दण्ड प्रावधान भारतीद दण्ड संहिता 1860 (IPC) की धारा 271 के अनुसार -
इस धारा में क्वारंटाइन/करन्तीन सम्बन्धित नियम की अवज्ञा से सम्बंधित प्रावधान है। यह वह प्रावधान है, जो जब लॉकडाउन ऑपरेशन में हो, तब लागू हो सकता है।
दण्ड विधान- धारा उल्लंघन पर इस प्रावधान के तहत, छह महीने तक का कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है ।
आइसोलेशन और क्वारंटाइन में अन्तर
- आइसोलेशन में चिकित्सक द्वारा संक्रमण होने की पुष्टि में आइसोलेशन वार्ड में घर से दूर किसी एकांत स्थल पर चिकित्सीय देखरेख में स्वस्थ होने तक रखा जाता है ।
- क्वारंटाइन उन व्यक्तियों को सरकार द्वारा घोषित अवधि के लिए किया जाता है जो विदेश यात्रा/संक्रमित स्थल के भ्रमण /संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आयें हो।साथ ही उन्हें क्वारंटाइन अवधि तक चिकित्सा, चिकित्सक परामर्श से दी जाती हैं ।
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