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मानसून के आने पर भारत पर भारी पड़ सकती है कोरोना की दूसरी लहर

वैश्विक स्तर पर कहर बरपा रही कोरोना वायरस महामारी का असर भारत ने भले ही 40 दिन के लॉकडाउन से फिलहाल सीमित कर लिया हो, लेकिन आगामी मानसून में भारतीयों को इस महामारी की दूसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जुलाई के अंत या अगस्त में अचानक कोरोना वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या में भारी बढ़ोतरी होने के आसार हैं।

वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि संक्रमण के अपनी पीक पर पहुंचने का समय इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत प्रतिबंधों में ढील मिलने के बाद  शारीरिक दूरी और संक्रमण फैलाव के स्तर को कैसे नियंत्रित करता है।

शिव नादर विश्वविद्यालय के गणित विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर समित भट्टाचार्य के मुताबिक, यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि रोजाना नए मामलों का ग्राफ अपने शिखर पर पहुंच रहा है और आखिर में यह नीचे गिर जाएगा। इसमें कुछ सप्ताह या महीने लग सकते हैं।

उन्होंने कहा, फिर भी हम शायद कोरोना वायरस के नए मामलों में एक उछाल देख सकते हैं और यही इस महामारी की दूसरी लहर होगी। महामारी का दूसरा दौर शायद मानसून के दौरान जुलाई के अंत या अगस्त में वापस लौट सकता है। हालांकि पीक का समय इस पर निर्भर करेगा कि इस समय सोशल डिस्टेंसिंग को हम कैसे नियंत्रित करते हैं।

बंगलूरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) के प्रोफेसर राजेश सुंदरसन भी भट्टाचार्य के अनुमान से सहमत हैं। राजेश के मुताबिक, एक बार सामान्य गतिविधियां चालू हो जाएंगी तो संक्रमण के दोबारा बढ़ने के आसार बन जाएंगे। चीन यात्रा पर कुछ प्रतिबंधों में ढील देने के बाद इस तरह का असर देख चुका है। राजेश आईआईएससी और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के शोधकर्ताओं द्वारा इस महामारी पर पेश वर्किंग पेपर के सहयोगी लेखक भी हैं।


 


लॉकडाउन के बाद भी जारी रहें कुछ प्रतिबंध आईआईएससी व टीआईएफआर के शोधकर्ताओं की तरफ से इसी सप्ताह सार्वजनिक किए गए अध्ययन में लॉकडाउन खत्म होने पर भी कुछ प्रतिबंध जारी रखने की सिफारिश की गई है। शोधकर्ताओं ने सरकार की तरफ से लागू की गई संदिग्ध को क्वारंटीन करने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने जैसी नीतियों के प्रभाव का अध्ययन करने के बाद यह सिफारिश की है।


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