Hot Posts

6/recent/ticker-posts

पत्रकारों पर हमला करने वाले पत्रकारों को धमकाने वाले लोगों का विरोध करते हैं

महाराष्ट्र के पालघर में पुलिस की मौजूदगी में हुई दो संतों समेत तीन लोगों की निर्मम हत्या के ऊपर सवाल पूछने बाले रिपब्लिक भारत के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी के ऊपर कांग्रेसियों द्वारा किया गया हमला लोकतंत्र की हत्या तथा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला करने वालों का कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए मंगल सिंह चौहान रिपब्लिक भारत के वरिष्ठ संपादक अर्णब गोस्वामी के ऊपर हुए कातिलाना हमले के बाद जिस प्रकार से कांग्रेसियों ने उनके खिलाफ देशभर में केस दर्ज कराने का प्रयास किया है इससे तो ऐसा लगता है कि जैसे कांग्रेसी ही दोषी है क्योंकि जो अपराधी होता है वह कहीं ना कहीं गलती करता है और बौखलाहट में वह ऐसे कदम उठाता है जिससे उसकी गलती साफ नजर आने लगती है हमारे पत्रकार साथी अर्नब गोस्वामी ने कोई ऐसा सवाल नहीं किया जिसमें कांग्रेश या उनके वरिष्ठ नेताओं का कहीं भी अपमान हो रहा होता क्योंकि महाराष्ट्र में कांग्रेश एनसीपी और शिवसेना की संयुक्त सरकार है और जब सरकार संयुक्त है तो सवाल भी सभी से पूछे जाने चाहिए और सब को जवाब देना चाहिए ना कि सवाल पूछने पर हमला करना चाहिए या सवाल पूछने पर पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना चाहिए अगर इस प्रकार से पत्रकारों के खिलाफ सवाल पूछने पर मुकदमे दर्ज होंगे तो फिर कोई भी पत्रकार नहीं कांग्रेश की या किसी अन्य दल की किसी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाएगा और ना सवाल पूछेगा पत्रकार स्वतंत्र था स्वतंत्र है और स्वतंत्र रहेगा पत्रकारिता किसी की गुलाम नहीं होती है जनता की सेवा के लिए है और जनता के पास हर खबर को पहुंचाना हमारा कर्तव्य है जनता के हक की लड़ाई लड़ना हम सब पत्रकारों का कर्तव्य है जिसे प्रत्येक पत्रकार को निभाना चाहिए अर्नब गोस्वामी पर कातिलाना हमला कहीं ना कहीं हम पत्रकारों की एकता और अखंडता की परीक्षा है क्योंकि अगर आज हम खामोश रहे तो कल पता नहीं कितने अरनव गोस्वामी ऊपर हमले होंगे पत्रकार चाहे प्रिंट मीडिया का हो चाहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का चाहे छोटा पत्रकार चाहे बड़ा कोई भी पत्रकार छोटा बड़ा नहीं होता है जो खबर लिखता है रिपोर्टिंग करता है पत्रकारिता करता है वह सब एक समान है हम सबको एकजुट होना पड़ेगा जब हम एक साथ रहेंगे तभी निष्पक्ष पत्रकारिता कर पाएंगे और हमारे ऊपर कोई दबाव नहीं बना सकता दबाव की पत्रकारिता हमेशा घुटन महसूस करवाती है क्योंकि उसमें कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की बू आने लगती है और लोग पत्रकार को गलत नजरों से देखने लगते हैं इसलिए हम पत्रकारों को निष्पक्ष पत्रकारिता बिना दबाव के स्वतंत्र होकर करनी चाहिए जैसे कि अर्णब गोस्वामी ने सवाल पूछे इसी प्रकार हम सबको इन सभी कांग्रेसियों से सवाल पूछना चाहिए कि क्या आप भ्रष्टाचारियों के हत्यारों के हमलावरों के या पत्रकारों पर हमला करने वालों का समर्थन करते हैं ऐसे सवाल हमें सबको पूछना चाहिए और अगर ऐसा नहीं कर सकते तो फिर निष्पक्षता की बात करना बेईमानी होगी सभी कांग्रेसियों से हत्यारों की मदद करने वालों से हमलावर कोई मदद करने वालों से पूछना चाहता हूं कि आखिर अरनव का कसूर क्या था सवाल पूछना अगर गलती है कसूर है तो एक गलती हर पत्रकार करता रहेगा इस दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती हम सब साधुओं समेत सभी हत्यारों को फांसी की मांग करते हैं और पत्रकारों पर हमला करने वाले पत्रकारों को धमकाने वाले लोगों का विरोध करते हैं


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ