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उत्तराखंड के टनकपुर का प्रशिद्ध माँ पूर्णागिरि का मेला भी हुआ निरस्त

उत्तराखंड के टनकपुर का प्रशिद्ध माँ पूर्णागिरि का मेला भी हुआ निरस्त, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए देश में लाॅकडाउन की अवधि को तीन मई तक बढ़ा दिया गया है।


इसी के साथ उत्तर भारत का सुप्रसिद्ध पूर्णागिरि मेला भी पूर्ण रूप से निरस्त कर दिया गया है। इस वर्ष पूर्णागिरि मेला केवल सात दिन ही चल पाया है। मेले के इतिहास में यह पहला मौका है, जब करीब तीन महीने तक चलने वाला मेला केवल एक सप्ताह ही चल पाया। मेले में उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेष व अन्य राज्यों से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। लाॅकडाउन लागू होने के चलते टनकपुर बनबसा तक पहुंचे मां के करीब एक लाख भक्तों को भी पलिस प्रशासन द्वारा वापस भेजना पड़ा। मेला निरस्त होने से मंदिर समिति, पुजारी, जिला पंचायत, प्रशासन और व्यापारियों को करोड़ों के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है। पूर्णागिरि का प्रसिद्ध मेला हर साल होली के टीके के अगले दिन से शुरू होकर पूरे तीन माह तक चलता है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश के 23 जिलों के लोग मां पूर्णागिरि को कुलदेवी के रूप में मानते हैं। तीन माह तक चलने वाले इस मेले में बरेली, पीलीभीत, बदायूं, आगरा, अलीगढ़, लखनऊ, दिल्ली, हिमाचल समेत पूरे देश से से करीब 35 लाख भक्त पहुंचते हैं। इसके लिए पूर्णागिरि और शारदा घाट समेत अन्य स्थानों पर करीब सात सौ दुकानें लगती हैं। विभिन्न राज्यों के व्यापारी इस मेले में दुकान लगाते हैं। बूम, ठुलीगाड़ और टनकपुर में तीन जगहों पर वाहनों की पार्किंग के लिए करोड़ों के ठेके होते हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र में विद्युतीकरण, पेयजल और अन्य व्यवस्थाओं में भी लाखों रुपये व्यय होते हैं। इस बार भी मंदिर समिति और प्रशासन ने मेले की सभी व्यवस्थाएं पूरी कर दी थी। उसके बाद कोरोना को देखते हुए 16 मार्च की शाम इस मेले को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया था। फिर पूरे देश में लॉकडाउन शुरू हो गया था। मई में लॉकडाउन खुलने के बाद भी बाहरी राज्यों से श्रद्धालुओं के आने की संभावनाएं बेहद कम हैं। इसी को देखते हुए ये मेला अब निरस्त कर दिया गया है। इससे मेले से जुड़े लोगों को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा है। बनबसा में हुई बैठक में प्रसासन ने इस संबंध का निर्णय लिया है,इस माँ पूर्णागिरि के मंदिर की सबसे ख़ास बात ये मन्दिर पहाड़ी की चोटी के एक कोने पर है बताया जाता है कि माँ सती का कोई अंग यहां गिरा था, नेपाल बॉर्डर से लगता है माँ के ये मंदिर है बीच मे शारदा नदी बहती है और इस पहाड़ी की खड़ी चढ़ाई है रास्ता संकरा होने के बाद भी भक्त यहाँ पैदल ही माँ के दर्शन करते है यहाँ मन्दिर में माँ पूर्णागिरि से जो भी मनोकामना मांगी जाती है वो माँ पूर्णागिरि अवश्य पूरी करती हैं, भाग्यशाली होते है वो लोग जो माँ पूर्णागिरि के दर्शन करने जाते है मिस यू माँ पूर्णागिरि जय माता की।


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