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वैक्सीन को लेकर टूटी उम्मीद,पहले ही ट्रायल में फेल हुई दवा, 13.9% मरीज़ों की मौत

 दिल्ली-कोरोना वायरस को लेकर कई रिसर्च हुए हैं और अब भी कई जारी हैं, मगर अब तक इसके इलाज के लिए कोई भी नतीजा सामने नहीं आया है। इस बीच कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाले एंटी वायरल ड्रग ने बड़ा झटका देते हुए कोरोना के इलाज की पूरी उम्मीद तोड़ दी है।


कोरोना वायरस के संक्रमण में एक प्रभावी एंटी वायरल दवा  के फेल होने की खबर है। यह पहले ही रैंडम क्लिनिकल ट्रायल में फेल हो गयी। इस एंटी वायरल ड्रग का नाम रेमडेसिवयर है। जिसका टेस्ट चीन अपने देश के कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर कर रहा था। इसको लेकर उम्मीग लगाई जा रही थी कि शायद यह दवा कोरोना की जंग में जीत हासिल करने में मदद करेगा पर इसकी नाकामयाबी में करोड़ों लोगों की उम्मीदों में पानी फेर दिया है। जानकारी के मुताबिक कुल 237 लोगों वो दवा दी गई थी और कुथ को प्लेसीबो। वहीं एक महीने बाद ड्रग लेने वाले 13.9% मरीज़ों की मौत हो गई जबकि इसकी तुलना में प्लेसीबो लेने वाले 12.8% मरीज़ों की मौत हुई।


वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के डॉक्यूमेंट से इसकी जानकारी मिली है। इसके फेल होने की रिपोर्ट को डब्लूएचओ ने अपने वेबसाइट पर विस्तार से प्रकाशित किया था। बाद में इस रिपोर्ट को हटा दिया गया। इस पर सफाई देते हुए डब्लूएचओ ने कहा कि ड्राफ्ट रिपोर्ट गलती से अपलोड हो गई थी इसलिए रिपोर्ट को हटा लिया गया। रिपोर्ट में बताया गया था कि कुल 237 मरीजों में से कुछ को रेमडेसिवयर ड्रग दी गयी और कुछ को प्लेसीबो। एक महीने बाद रेमडेसिवयर लेने वाले 13.9% मरीजों की मौत हो गयी जबकि इसकी तुलना में प्लेसीबो लेने वाले 12.8% मरीजों की मौत हुई। ऐसी हालात में साइड इफेक्ट के कारण ट्रायल को पहले ही रोक दिया गया।


रेमडेसिवयर ड्रग को लेकर काफ़ी उम्मीद थी। रेमडेसिवयर ड्रग से मरीज़ में कोई सुधार देखने को नहीं मिला।रेमडेसिवयर के बारे में डब्लूएचओ ने गुरुवार को अपने साइट पर रिपोर्ट दी और बताया कि ये कारगर साबित नहीं हुई। तब रेमडेसिवयर को बनाने वाली कंपनी गिलिएड ने आपत्ति दर्ज करायी। गिलिएड साइंस ने फिर ट्वीट कर इस संबंध में रिपोर्ट जारी की।इसमें बताया गया कि दवा का परीक्षण अभी काफ कम हुआ है ऐसे में इस के रिजल्ट पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। गिलिएड कंपनी के चीफ मेडिकल ऑफिसर, ने कहा कि शोधकर्ताओं को इस दवा के परिणाम के बार में कुछ भी लिखने या छापने की इजाजत नहीं है। अभी डब्लूएचओ के पास जो रिपोर्ट पहुंची वो गलत है और जल्दबाजी का परिणाम है।


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