20 लाख करोड़ रूपया सुनकर ही मुंह में पानी आ गया एक बार हर भारतीय के चेहरे पर खुशी आई और शहद चली गई अब जनता सोचने लगी यार कहीं पहले की तरह ना हो पहले भी हमारे खाते में 15 लाख रुपया आने वाला था : मनजीत आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक
दोस्तों यह लेख चार-पांच दिन के बाद लिख रहा हूं | क्योंकि बात बहुत वजन वाली थी हां मामला 20 लाख करोड़ रुपए का था छोटी मोटी रकम होती तो शायद उसी दिन ही लिख देता | प्रधानमंत्री जी ने देश को 12 मई की रात 8:00 बजे संबोधित किया उन्होंने काफी लंबा भाषण दिया मगर जब उन्होंने कहा सरकार 20 लाख करोड रुपए का राहत पैकेज की घोषणा करती हैं तो सारा हिंदुस्तान चोक गया | तो मैं किस खेत की मूली था | 13 मई को देश की वित्त मंत्री जी ने देश को संबोधित करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बताया के 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज में किस किसको इतना कितना लाभ होगा या कितनी कितनी राहत मिलेंगी |
मामला 20 लाख करोड़ रुपए का था और हर हिंदुस्तानी चाहे वह कोई भी व्यवसाय करता है | सबको कुछ ना कुछ राहत मिलनी थी इसलिए बताने में समय तो लगना ही था इसलिए तीन-चार दिन उन्हें प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से बताने में लग गए लगते भी क्यों नहीं अब दोस्तों में अपनी बात को शुरू करता हूं | अपनी बात सन 1969 दसवीं कक्षा का मैं छात्र था सिनेमा हॉल में सुबह के समय इंग्लिश पिक्चर लगती थी | हम अपने दोस्तों के साथ इंग्लिश पिक्चर देखने जाते हैं मगर हमें ज्यादा समझ नहीं आती थी | मगर बाहर आकर कोई भी ये ना कहता कि समझ नहीं आई या अच्छी नहीं थी | दरअसल हमें कुछ पता ही नहीं चलता था मगर इस डर से कहीं दूसरा यह ना कहे इंग्लिश समझ नहीं आती तो देखने क्यों आते हो | इसलिए सब उसकी तारीफ करने लगते आज आपको बता रहा हूं कि बिल्कुल समझ नहीं आती थी तो आप आज भी मुझे ये ना कह देना बात 20 लाख करोड़ की है | और तुम कह रहे हो यार समझ नहीं आया असल में बिल्कुल समझ नहीं आया कि 20 लाख करोड़ रुपया का पैकेज हमें मिला है | बात सीधी सी पता चले कि तुम्हें इतना मिलेगा और मुझे इतना तो समझ आ जाएगा पता ही नहीं चला करोड़ों वहां चले गए करोड़ों उधर मुझे कितना मिला | कोई मुझे समझा पाएगा एक बात तो तय है हमारे प्रधानमंत्री जी गुड दे ना दे मगर बात गुड़ जैसी ही करते हैं करनी भी चाहिए | आखिर बात सिर्फ मेरी तुम्हारी नहीं बात 130 करोड़ भारतवासियों की है | हल्की बात तो करनी भी नहीं चाहिए और दूसरे मुल्क भी है | हमारी तरफ देख रहे हैं तो फिर हल्की बात क्यूं बात 20 लाख करोड़ सुनकर एक बार मुंह भर गया | एक बार हर भारतीय के चेहरे पर खुशी आई और वह सोचने लगा कहीं यह खुशी चली न जाए क्योंकि पहले भी हमारे खाते में 15 लाख रुपया आना था | गरीब आदमी रोजाना बैंक जाकर पूछता भाई मेरे खाते में 15 लाख रुपए आए या नहीं धीरे धीरे बस एक बात बन कर रह गई | कहीं ऐसा ही तो नहीं होगा लॉक डाउन जब खुल जाएगा धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर आने लगेगी तब फिर शायद एक बार फिर भूलना होगा 20 लाख करोड़ रूपया या फिर आपकी समझ आ गया हो तो हमें भी बता देना मुझे लगता है | क्योंकि लॉक डाउन में हमारा हाजमा भी खराब होने लगा 2 महीने से ज्यादा हो चुके हैं | शायद अब हमारा हाजमा ठीक हो जाए क्योंकि 20 लाख करोड़ रूपया है | अच्छा होगा भी क्यों नहीं इंसान को बात बड़ी करनी चाहिए बड़ा सोचना चाहिए | मुझे खुशी है कि मेरे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी बड़ा सोचते हैं | हम बचपन में भी उसी से दोस्ती करते थे जो ऊंची बात करता था | आज तक हमारा स्वभाव नहीं बदला ये अच्छी बात है दोस्तों देश के प्रधानमंत्री जी व वित्त मंत्री जी इतने सुंदर भाषण पर हम ताली भी बजा नहीं पाए क्योंकि हम लॉक डाउन में जी रहे हैं | मैं विशेष रूप से प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमें एक बार फिर जीने का मकसद दे दिया | पिछले तीन-चार दिनों से देश की वित्त मंत्री जी 20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज के बारे में बता रही है | कितना कहां-कहां देना है या कितना किस किस व्यवसाय को मिलना है | किसानों को भी मजदूरों को भी छोटे व्यापारी को भी रेडी पटरी वाले को भी छोटे दुकानदारों को भी | उनका संबोधन देश बड़े ध्यान से सुन रहा था शायद जनता को समझ नहीं आ पा रहा | करोड़ों कहां जाएंगे बाकी करोड़ उधर और फिर एक इधर ऐसे चक्कर चला बस इतना तो याद रहा 20 लाख करोड रुपए का राहत पैकेज | मेरी समझ नहीं क्योंकि मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं मगर शेयर मार्केट को भी शायद समझ नहीं आया 15 मई की अखबार में पढ़ा शेयर बाजार औंधे मुंह गिरा | शेयर बाजार केंद्र सरकार के 20 लाख करोड रुपए के आर्थिक पैकेज से खुश नजर नहीं आया राहत | पैकेज से जीवन पटरी पर लौटेगा यकीनन मुझे विश्वास है | मैं देशभक्त हूं और सरकार के साथ हूं और फिर देश के प्रधानमंत्री जी ने बोला है प्रधानमंत्री जी से बस इतना कहना चाहता हूं | खैरात ना बाटे कल कारखाने लगाएं गरीबों को काम मिले रोजगार मिले अगर आज हम अनाज फ्री देंगे तो गरीब कल कहां से लाएगा | यह बात मैं नहीं कह रहा हूं देश के मजदूर कह रहे हैं | आपको ऐलान करना चाहिए कि आज के बाद देश में कुछ भी मुफ्त नहीं काम करो काम करो और आगे बढ़ो यही हमारा नारा होना चाहिए | हम गरीब मजदूर को आलसी नहीं बनाना चाहते अगर मजदूर आलसी होगा तो देश आत्मनिर्भर कैसे बनेगा | हर हाथ को काम यही हमारा नारा होना चाहिए | काम में सुविधा दें किसान की फसल को सरकार उचित दामों पर खरीदें | उसको बिजली सस्ती दे बीज सस्ते दामों पर मिले फसल की कीमत कम आए और उचित दाम पर बिके | मजदूर को उसका पसीना सूखने से पहले मजदूरी मिले | हर देशवासी का सम्मान हो हर व्यक्ति ईमानदार हो तभी देश आगे बढ़ेगा | राहत पैकेज से जीवन पटरी पर लौटेगा यकीनन मुझे विश्वास है देश आत्मनिर्भर होगा हां मैं इस पर देश के साथ हूं क्योंकि मैं खुद भी चाहता हूं देश आत्मनिर्भर बने | हमारे देश से विदेशी लोग लूट लूट कर ले गए और हम देखते रहे यह उचित नहीं यह सवाल उठता है | कहते हैं जब जागो तभी सवेरा लॉक डाउन के बाद एक नया भारत का निर्माण होगा | सभी लोग स्वदेशी समान खरीदेंगे हमारा देश आगे बढ़ेगा देश के नेतृत्व को कहना चाहता हूं | राहत पैकेज दे जहां जरूरत हो मगर खैरात ना दे 20 लाख करोड़ रूपया थोड़ा नहीं कल कारखाने लगाए रोजगार मिले जब बेरोजगारी खत्म होगी तो मेरे देश का नौजवान काम करेगा | देश के लिए सोचेगा देश आगे बढ़ेगा मुफ्त में कुछ नहीं बांटना चाहिए स्वदेशी सामान में कुछ ऐसे भी समान मिक्स हो गए हैं | जिन्हें हम खरीदते खरीदते स्वदेशी ही समझने लगे हैं पहचान करनी होगी हम भारतवासी बहुत मजबूत हैं | यहां का इंसान मजबूत है देश अवश्य आगे बढ़ेगा एक नए भारत का निर्माण होगा और हम हिस्सेदार होंगे | दोस्तों आओ मिलकर प्रधानमंत्री जी से कहें कि 20 लाख करोड़ रूपया का राहत पैकेज जहां जहां जरूरत है वहां राहत दे मगर मुफ्त में कुछ नहीं | रोजगार दे रोजगार होगा तो बेरोजगारी खत्म होगी हमारे नौजवान विदेशों में नहीं भागेंगे हर हाथ काम होगा खाली दिमाग शैतान का घर | हमारे विचार ऊंचे होंगे तो देश मजबूत होगा | लेख के अंत में भाइयों मेरा सवाल फिर वही है कि मुझे समझ में नहीं आया कि 20 लाख करोड़ में मेरा हिस्सा कितना है और मुझे कब मिलेगा | मगर मैं लेख के अंत में इस बात को कहना चाहता हूं कि 20 लाख करोड़ रुपए में मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे मेरा देश मजबूत चाहिए | मैं देश को बढ़ते हुए देखना चाहता हूं मुझे किसी से शिकायत भी नहीं बस लोग इमानदारी से जीवन जिए | तभी मेरा देश मजबूत होगा मैं एक सच्चा हिंदुस्तानी हूं इसलिए देश के लिए सोचता हूं |
सरदार मंजीत सिंह
आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक
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