Hot Posts

6/recent/ticker-posts

21वीं सदी में देश के 40 करोड़ से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के मजदूर सरकारी सुविधाओं से वंचित शोषण के शिकार : रामदुलार यादव

आज दिनांक 1 मई 2020 को अंतर्राष्ट्रीय मई दिवस के अवसर पर 1886 में काम के आठ घन्टे करने के लिए संघर्षरत मजदूर, मेहनतकश भाइयों की शहादत को सलाम करते हुए समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य कार्यकारिणी के पूर्व सदस्य राम दुलार यादव ने बताया कि मजदूर सदियों से शोषण का शिकार है, आज भी उसकी हालत चिन्ताजनक है, 21वीं सदी के भारत में भी उसे जो अधिकार मिलने चाहिए अब तक नहीं मिले|


चालीस करोड़ श्रमिक, मजदूर भाई मूल-भूत अधिकारों से वंचित हैं, अब तो वह पहले से भी अधिक शोषण सहन कर रहा क्योंकि ठेकेदारी प्रथा के कारण उसे न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल रही है, वह मंहगाई की मार झेलता हुआ न अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकता, न अच्छे से भरण पोषण कर सकता है, मुझे अफसोस के साथ कहना पड रहा है, देश की सरकारें मजदूर वर्ग के हित चिंतन में संवेदन शून्य बनी हुई हैं, जबकि लोकतंत्र में चुने हुए जन प्रतिनिधि अधिकतर किसान, मजदूर पृष्ठभूमि से आते हैं| किसान का बेटा ही शहर में आकर मजदूर बन जाता है क्योंकि जब खेती से उसका गुजारा नहीं होता तो वह काम की तलाश में मजदूरी पर लगता है, जिन्हें वह वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुनता है, वे उनके हक में कोई आवाज नहीं उठाते|


भारत में पूंजीवादी व्यवस्था है, सरकार बनवाने में देश के पूंजीपतियों की अहम भूमिका होती है, इसलिए स्वाभाविक है कि सरकारें उनका हित चिन्तन करती हैं, लेकिन मेरा मत है कि जहाँ उद्योगपतियों के लिए सरकारें कार्य करती हैं, वहीँ देश में बड़ा वर्ग है जिसके सामने दो जून की रोटी का संकट है, उनके लिए मेरी केन्द्र सरकार से मांग है कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की ओर स्वतंत्र भारत में देखना अति आवश्यक है, नहीं तो आजादी का उनके लिए कोई मतलब नहीं है| उन्हें सरकारी सुविधाएँ दिलवाई जाय, ठेकेदारी प्रथा बन्द करवाई जाय, न्यूनतम मजदूरी की व्यवस्था की जाय, मजदूरों के बच्चों को शिक्षा मुफ्त तथा उनकी दवाई का उचित प्रबन्ध किया जाय| 
  कोरोना का संकट देश में है, संज्ञान में यह आया है कि लाखों मजदूरों पर न राशन कार्ड है, न उनका जन धन खाता, उन्हें कोई भी सरकारी सुविधा प्राप्त नहीं हो पा रही है वे दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, काम-धंधा छूट जाने के कारण वह तबाह है, वे अपने मूल निवास स्थान पर भी साधन के अभाव में नहीं जा पा रहे हैं मेरी मांग है कि शासन को, प्रशासन को निर्देश देना चाहिए कि जिन पर राशन कार्ड नहीं है उन्हें राशन तथा कम से कम 2000/= रुपये की व्यवस्था स्थानीय अधिकारी करें| नहीं तो वे भूख से तबाह हो जायेंगें| कुछ पैदल जाने वाले रास्ते में जान गवां दिये हैं, कुछ भूख से मर जायेंगें| मई दिवस के अवसर पर सभी मजदूर भाइयों को मेरी शुभ कामना, अभिनन्दन|


                                             भवदीय 


                                       राम दुलार यादव 
                     पूर्व सदस्य राज्य कार्यकारिणी 
                            समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ