गाजियाबाद: आई0टी0एस0 के फिजियोथेरेपी विभाग द्वारा 29 मई, 2020 को एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसके प्रमुख वक्ता डाॅ0 कल्याण चक्रवर्ती द्वारा आनलाईन वेबिनार प्रस्तुत किया गया। डाॅ0 कल्याण चक्रवर्ती वर्तमान में संयुक्त अरब अमिरात के प्रसिद्ध महाविश्वविद्यालय सारजहां मे असिसटेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है।
इस वेबिनार का मुख्य विषय पल्मनेरी रिहबिलिटेशन और फेफड़ो की बीमारी में फिजियोथेरेपी की भूमिका थी। उन्होंने बताया कि फिजियोथेरेपी तकनीक द्वारा हम फेफड़ो की बीमारी से कैसे निजात पा सकता है। डाॅ0 कल्याण चक्रवर्ती ने कहा जब हम सांस लेते है आपके फेफड़े हवा मे से आक्सीजन लेते है आपके शरीर में कोशिकाएं काम करती है और उनको विकसित करने के लिए आक्सीजन की जरूरत होती है। एक सामान्य दिन के दौरान आप लगभग 25 हजार बार सांस लेते है। फेफड़ो के रोग कई तरह से फेफड़ो को प्रभावित करते है। जैसे अस्थमा, सी0ओ0पी0डी0, इन्फ्लूएंजा, निमोनिया, फेफड़ो के कैंसर और कई अन्य सांस लेने की तकलीफें। उन्होंने बताया कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। पल्मोनरी पुनर्वास को छाती की फिजियोथेरेपी भी कहा जाता है। छाती की फिजियोथेरेपी मे फेफड़ो में एत्रित बलगम को हटाने के लिए उपयोग की जाने वाली तकनीके शामिल है। जैसे वाॅक टेस्ट, सांस लेने की तकनीक आदि। उदाहरण के लिए एक तकनीक जिसे डायाफ्रामिकश्वास लेने की तकनीक के रूप में जाना जाता है। जो डायाफ्राम को मजबूत करने और सांस लेने की थकान को कम करने में मदद करती है। उन्होंने कई विषयों पर बातचीत की जैसे उर्जा संरक्षण तकनीक, एरोविक व्यायाम, सांस लेने की क्षमता बढाने के लिए व्ययाम तथा उन्होंने बताया कि श्वसन की सहायता के लिए मांसपेशियों का प्रशिक्षिण करना अनिवार्य है। वेबिनार के अन्त में डाॅ0 कल्याण चक्रवर्ती ने पल्मोनरी पुनर्वास से फेफड़ो की व्यायाम तकनीक का इस्तेमाल करके बताया कि हम अपनी श्वसन क्रिया को कैसे बेहतर बना सकते है।
कोविड-19 के प्रकोप के कारण छात्रों के शिक्षण कार्य का नुकसान न हो इसलिए आई0टी0एस0-द एजुकेशन ग्रुप के चेयरमैन, डाॅ0 आर0पी0 चड्ढा एवं वाईस चेयरमैन, श्री अर्पित चड्ढा ने छात्रों के लिए इस सफल आनलाइन वेबिनार का आयोजन किया जिसके लिए सभी प्रतिभागियों ने उनको धन्यवाद दिया।
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