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भगवान बुद्ध ने मानव द्वारा मानव के साथ अन्याय ,शोषण, उत्पीड़न को, हिंसा तथा धर्म विरुद्ध माना : रामदुलार यादव

गाजियाबाद: लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष रामदुलार यादव ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर डॉ0 भीमराव अंबेडकर पार्क, लाजपत नगर  साहिबाबाद के प्रांगण में भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज के दिन इस धरा पर 563 ईसवी पूर्व भगवान बुद्ध का जन्म हुआ, विश्व में इतना


क्रांतिकारी, मानवतावादी, सामाजिक समानता, वैज्ञानिक दृष्टि, करुणा, दया की प्रतिमूर्ति, अहिंसावादी, मानव के सर्वांगीण उत्थान के लिए प्रतिबद्ध, नर, नारी समानता के प्रबल पक्षधर, सत्य की अलख जगाने वाला सम्माननीय नाम भगवान बुद्ध व उनके जीवन दर्शन का है|
    भगवान बुद्ध और उनका धर्म मानव जाति के संपूर्ण विकास के लिए प्रेरणा स्रोत, आज भी प्रासंगिक है| वे सभी प्रकार की हिंसा के विरोधी थे| उनके जीवन काल में जीव हिंसा, प्राणी हिंसा चरम पर थी, जाति. धर्म, पंथ, संप्रदाय के नाम पर हिंसा का उन्होंने निषेध किया| करुणा, प्रेम, मैत्री समाज में हो प्रचार किया, भगवान बुद्ध मानव द्वारा मानव के शोषण को हिंसा मानते थे, शोषण, अन्याय, उत्पीड़न को धर्म विरुद्ध मानते थे| उनका मानना था कि शोषण की व्यवस्था सामंतवादी सोच से आती है, इसे किसी भाग्य या ईश्वर ने निर्मित नहीं किया, यह मानव निर्मित है, मानव ही द्वारा, नैतिक आचरण, करुणा, दया व उच्च विचार से इस व्यवस्था का समूल नाश किया जा सकता है| समाज में समता, न्याय और बंधुता का गरिमामय जीवन लोग जी सकेंगे|
    भगवान बुद्ध ने कहा है कि “भवतु सब्ब मंगलम” सभी का कल्याण हो, किसी का अहित न हो| वह पुनर्जन्म तथा आत्मा को नहीं मानते थे| वे मानव को सृष्टि का अद्भुत प्राणी मानते थे| उन्होंने कहा कि इस दुर्लभ जीवन का उपयोग अपने कल्याण के साथ, साथ समाज के हित में लगाना चाहिए| निर्वैर होकर जीना, अपना दीपक, मार्गदर्शक, खुद बनना, कोई भी दूसरा आपका कल्याण नहीं करेगा स्वयं आपको कठिन परिश्रम करना होगा| भगवान बुद्ध किसी प्रकार की हिंसा के विरोधी थे| उनका सिद्धांत चार आर्य सत्य है:- दुख, दुख का कारण, दुख का निवारण, दुख निवारण का मार्ग| अष्टांगिक मार्ग दिया:- सम्यक स्मृति, सम्यक वाणी, सम्यक व्यायाम, सम्यक आजीविका, सम्यक संकल्प, सम्यक दृष्टि, सम्यक कर्मान्त, सम्यक समाधि| बौद्ध दर्शन मध्यम मार्ग पर चलने पर जोर देता है उनका कहना था “शरीर रूपी वीणा को इतना न कस दो कि इसके तार टूट जाए, न इतना ढीला छोड़ दो कि इसमें से आवाज ही न आये”| 
    आज देश, समाज में असमानता, जातिवाद, धार्मिक पाखंड, नफरत, अंधविश्वास, अंधभक्ति, डर का वातावरण बनाया जा रहा है मानव की उन्नति में बाधा है| भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन व उनके बताए मार्ग पर चलकर मैत्री, प्रेम, दया, करुणा, सद्भाव, भाईचारा समाज, देश में पैदा कर दूर किया जा सकता है, तथा मानव द्वारा मानव के घोर शोषण की व्यवस्था को रोका जा सकता है| कोरोना संकट ने आज यह एहसास करा दिया है, करोड़ों मानव दर-दर की ठोकरें खा रहा है, भूखा, प्यासा अपने गांव, जन्म स्थल पर जा रहा है, जहां वह अपनी सेवा दे रहा था, वह तथा राज्य सरकारें भी उसके प्रति संवेदन शून्य बनी हुई है| इस अवसर पर मैं आग्रह करना चाहता हूं कि उन जरूरतमंदों की जो आपकी सेवा में लगे रहे उनकी मदद करें तथा सरकार भी उनकी हर तरह से मदद करते हुए उनके गांव पहुंचाने की व्यवस्था करें|
  प्रमुख ने श्रद्धांजलि अर्पित किया, डा0 अम्बेदकर जन कल्याण परिषद् उत्तर प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मन प्रसाद, अर्जुन प्रसाद प्रधान, रमेश गौतम, खीर का प्रसाद, सुखा राशन भी वितरित किया गया| ऋषिकेश, राम बदन, संतोष, अनिल, यशवंत, हरिंदर, डा0 राजेन्द्र कुमार, श्यामलाल, कैलाश आदि ने प्रसाद ग्रहण किया|
                                                                        


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