साहिबाबाद : समाजवादी विचारक, लोक शिक्षण अभियान ट्रस्ट के संस्थापक/अध्यक्ष राम दुलार यादव ने भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार के पत्र द्वारा बतायी गयी उपलब्धियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “गोस्वामी तुलसीदास द्वारा कही चौपाई वर्तमान केन्द्र सरकार के लिए सटीक बैठती है, सहसा, करि पीछे पछताहीं” वर्तमान सरकार बिना सोच समझकर परिणाम की परवाह बगैर किए निर्णय लेने वाली सरकार साबित हो रही हैl
इस सरकार को देश के किसान, मजदूर, व्यापारी, छात्र, बेरोजगार, नवजवान, छोटे कारोबारियों के बारे में सोचने का समय ही नहीं, यह लोकतांत्रिक बहुमत की सरकार है, जनता ने इसे मत देकर चुना है, लेकिन यह 8 नवम्बर 2016 को बिना तैयारी के नोटबन्दी कर दी| नोट बदलने के लिए आम जनता 10 से 12 घन्टे लाइनों में लगी रही, उसे नोट के बदले नोट तो नहीं मिला बल्कि 150 से अधिक लोगों की जान चली गयी| नोटबन्दी से देश को कोई भी फायदा नहीं हुआ, आज तक उस नुकसान की भरपाई नहीं हो रही है, 36 हजार करोड़ रूपया देश का नोट ले जाने, लाने में खर्च हो गया, यह घटना मोहम्मद बिन तुगलक की याद दिलाती है|
कालाधन तो आया नहीं बल्कि 99.3% रूपया बैंक में जमा हो गया| जी0एस0टी0 एक देश, एक कर, जिसका वर्तमान प्रधानमन्त्री जी पहले विरोध करते थे, एक देश, एक कर तो लगा नहीं, एक दर भी जी0एस0टी0 की नहीं रही, इसका कुप्रभाव छोटे, मझोले उद्योगों पर पड़ा, वे चौपट हो गये, छोटा व्यापारी खेल से बाहर हो गया, अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर पड़ा, बेरोजगारी बढ़ गयी, छटनी की शुरुवात हो गयी| आर्थिक स्थिति भयावह हो गयी|
भाजपा सरकर ने एक साल की उपलब्धियों के वर्णन में धारा 370, राम मन्दिर, तीन तलाक की बात ही बड़ी उपलब्धि बताया| यह भारतीय जनता पार्टी का घोषणा पत्र था, उसे आप ने लागू किया, लेकिन बेरोजगारों, किसानों, मजदूरों, दुकानदारों, रेहड़ी, पटरी वालों, दस्तकारों के लिए आप ने क्या किया| वैशिक महामारी कोरोना के संकट में पूरा देश आप के साथ है लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने बिना विपक्ष की राय के पूरे देश में लॉकडाउन (पूर्णबन्दी) कर दी, क्योंकि आप की पार्टी में अधिकतर संपन्न लोग हैं, उन्हें नहीं पता कि इस देश की 75% जनता रोज, कमाती है तब उसके घर चूल्हा जलता है, जो प्रवासी मजदूर है वह मजदूरी का अधिकांश भाग अपने गृह राज्य, अपने गाँव, अपने आश्रितों को भेज देता है, भाजपा सरकार ने उसकी परवाह नही की| जब मजदूर के सामने भोजन का संकट आया तो वह पैदल चल दिया, पैर में चप्पल नहीं, पगडंडियों, रेलवे लाइनों, खेतों, खलिहानों के रास्ते, भूखा, प्यासा अपने बच्चों के साथ इतनी ह्रदय विदारक घटनाएँ हुई की रूह कांप जाती है, देख, सुनकर, जिस परिवार पर वज्रपात हुआ है, उस परिवार का क्या हाल होगा, 600 से अधिक दुर्घटनाएँ हुई, सैकड़ों मजदूरों की जान चली गयी, रेल से कटकर मर गये, सैकड़ों घायल जीवन और मौत से संघर्ष कर रहे हैं, झूठ का बोल, बाला इस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है, नफ़रत का वातावरण बन गया, जातिवाद का दंश झेलने को लोग मजबूर है, माननीय प्रधानमन्त्री जी ने 21 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की है, पूर्वांचल की कहावत है कि यह, लग्गे से पानी पिलाना, बीरबल की खिचड़ी साबित होगा, क्योंकि इसमे 2 लाख करोड़ राहत के अलावां सारा लोन है, राहत तो तत्काल मिलनी चाहिए, लघु, मझोले, कुटीर उद्योगों को तत्काल राहत की, छोटे दुकानदार, रेहड़ी, पटरी वाले को तत्काल रुपये की आवश्यकता है| तत्काल सहायता से बाजार में रौनक आ सकती है|
माननीय महोदय आप यदि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर पुन: लाना चाहते हैं तो देश के व्यापारी, छोटे दुकानदार, किसान, मजदूर तथा जिन देशवासियों की नौकरी छूट गयी है, उनके खाते में सीधा राहत राशि पहुँचाने की व्यवस्था करें, आज हम दूसरे देशों की बात करते हैं, हमने, उनके बराबर पैकेज दे दिया क्या यह सच है वहां जिन लोगों के काम छूट गये हैं सरकार उनके खाते में सीधे राहत डाल रही है, यहाँ निम्न मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग के सामने भी रोटी-रोजी का संकट पैदा हो गया है, राज्य सरकारों के माध्यम से चिन्हित कर उनकी मदद करें| जिनके बैंक खाते नहीं, उनके तत्काल खाते खुलवा राहत दें| जब लोगों के हाथ में रूपया आयेगा क्रयशक्ति बढ़ेगी तभी बाजार, कस्बे, गाँव आबाद होंगें, घोर संकट है, पूरे संसाधनों के साथ कार्य करने से देश फिर आर्थिक दृष्टि से मजबूत होगा|
0 टिप्पणियाँ