दिल्ली 23 मार्च जनता कर्फ्यू से लेकर आज तक लोग कोरोना वायरस से अपने आप को तथा अपने परिवार की हिफाजत को लेकर चिंतित है जहां सरकार बड़े-बड़े दावे करती है कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए और बैंक इस लॉक डाउन में कर्ज दाताओं से बैंक अपना कर्ज ना वसूले लेकिन बैंक अपने आप को रोक नहीं पा रहे हैं।
वह किसी ना किसी तरह से गाड़ी कि ईएमआई घर की ईएमआई आदि कार्यों की ईएमआई को खाते में से बगैर कर्ज़ दाताओं के सूचित किए उनसे कर्ज वसूलने का कार्यक्रम जारी है और किसी व्यक्ति के खाते में यदि पैसा नहीं है तो उनसे फोन के जरिए कर्ज की किस्त अदाकी को लेकर बातचीत कर किस्त देने को राजी किया जा रहा है ।
लेकिन किसी के पास यदि पैसा नहीं है तो उसको लॉक डाउन के बाद ब्याज सहित कर्ज अदायगी करने की बात कर रहे हैं वही मध्यमवर्गीय परिवार तथा निम्न मध्यमवर्गीय परिवार आज लॉक डाउन के चलते तथा इसमें छोटे व्यापारी कुटीर उद्योग संचालक और दुकानदार सभी के सामने अपने परिवार का भरण पोषण को लेकर सिर दर्द बढ़ा हुआ है और उन लोगों को सरकार ना तो कोई राहत दे पा रही है ना ही कोई खाद्यान्न सामग्री दे पा रही है क्योंकि यह लोग किसी के सामने अपनी मजबूरी को नहीं बता सकते जिसके चलते इन परिवारों की हालत काफी गंभीर है इस संबंध में हमारे संवाददाता से बातचीत के दौरान पूर्व चेयरमैन नगर निगम निर्मल सिंह नामधारी से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया निम्न मध्य परिवार निम्न मध्यमवर्गीय परिवार तथा छोटे दुकानदार कुटीर उद्योग संचालक तथा रेडी पटरी लगाने वालों की स्थिति काफी चिंताजनक है वही बैंक से कर्ज लेने वाले लोगों पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है इसके मद्देनजर सरकार को एक राहत पैकेज उन परिवारों को देना चाहिए और बैंक के द्वारा इन परिवारों को दिया गया कर्ज लॉक डाउन महा का कर्ज माफ होना चाहिए।
इस दौरान का कर्ज सरकार को पैकीज के रूप में लॉक डाउन दौरान महा का कर्ज़ सरकार को बैंकों को देना चाहिए ताकि इस लॉक डाउन के दौरान भारत की इकॉनमी भी पर कोई बुरा प्रभाव ना पड़े मैं समझता हूं जब बड़े बड़े बकायेदारों का कर्ज सरकार एक झटके में माफ कर सकती है तो इन गरीब लोगों का कर्ज क्यों नहीं माफ कर सकती लेकिन सरकार के पास वैश्विक महामारी के चलते दुनिया भर से काफी बड़ा फंड खट्टा हो गया है और हमारे देश के दानदाताओं द्वारा भी काफी बड़ी रकम दान के रूप में भारत सरकार को दी है ताकि देश के नागरिकों की सुरक्षा की जा सके इस और सरकार को जल्द से जल्द योजन बनानी होगा ताकि इस बहुत बड़े वर्ग को बचाने के लिए कोई न कोई रास्ता सरकार द्वारा जरूर निकाला जाए।
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