जाने क्यों, मेरा दिल रो रहा है...
जाने क्यों, मेरा दिल रो रहा है,
कुछ तो है जो गलत हो रहा है।
कुछ ना समझों की वजह से धरती पर,
मौत का तांडव हो रहा है।।
आगे बढ़ने की होड़ में कुछ ऐसा कर गया...,
सूमची दुनिया को मौत के गाल में डूबा गया...।
कुछ तो है जो गलत हो रहा है,
जाने क्यों, मेरा दिल रो रहा है।।
अब तो सारे ताले तोड़ रहे हैं देश
कुछ फंसे यहां, कुछ फंसे विदेश।
कुछ तो है जो गलत हो रहा है,
जाने क्यों, मेरा दिल रो रहा है।।
कुछ: तरस रहे परिवार मिलन को, कमाई को चिंतित लोग,
कुछ: चलते चलते थक गये, भूख—प्यास से बिलखते लोग।
कुछ तो है जो गलत हो रहा है,
जाने क्यों, मेरा दिल रो रहा है।।
प्रकृति को बचाने के लिए सोच रहे थे सबजन,
अब महामारी से बचने की सोच रहे है हरजन।
महामारी कार्य कर रही है कुछ ऐसा
प्रकृति को बचाने की सोचा नहीं था जैसा।।
प्रकृति के लिए बनी वरदान, जीवों के लिए बनी श्राप,
बचाव के लिए लगाये ताले, अब खुली दुकाने शराब।
कुछ तो है जो गलत हो रहा है,
जाने क्यों, मेरा दिल रो रहा है।।
ज्योतिषकारों की हो रही भविष्यवाणी सच्ची,
21वीं, वैज्ञानिकों की पढ़ाई भी पड़ गयी कच्ची।
कुछ तो है जो गलत हो रहा है,
जाने क्यों, मेरा दिल रो रहा है।।
अजीब उलझन के है सभी के पास, करो कमाई या जीने की आस।
दुश्मन ऐसा खड़ा है सामने, जिस पर गिरता नहीं कोई प्रकाश।।
किसमें छुपा है दुश्मन, जान पाये ना कोय
चमकादड़ को प्रकाश दिखा, ऐसी हालत होय।
दिल करे ऐसी पुकार, भारतीय गुरूओं को करो प्रणाम,
शीघ्र हो कोई समाधान, जिससे बच सके जीवों के प्राण।
कुछ तो है जो गलत हो रहा है,
जाने क्यों, मेरा दिल रो रहा है।।
धन सिंह
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