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क्या आप मुंह से निकली सांस के द्वारा केक के संक्रमित होने की संभावित स्थिति में केक के उस पीस को खाना पसंद करेंगे?

लॉकडाउन खुलने के बाद क्या आप किसी ऐसी बर्थडे पार्टी में जाना पसंद करेंगें जहां मुंह से फूँक मारकर केक के ऊपर जलती मोमबत्तियों को बुझाया जाएगा और फिर उस केक का पीस पार्टी के हर मेहमान को परोसा जाएगा आपको भी परोसा जाएगा।


क्या आप मुंह से निकली सांस के द्वारा केक के संक्रमित होने की संभावित स्थिति में केक के उस पीस को खाना पसंद करेंगे?


क्योंकि फूंक मारकर मोमबत्ती बुझाने से सांस के साथ लार के कणों से केक के संक्रमित होने की संभावना रहती है 


क्या आपको भी लगता है कि जन्मदिन अथवा अन्य अवसरों पर काटे जाने वाले केक पर मुंह से सांस छोड़कर मोमबत्तियां बुझाने की यह परंपरा शायद बन्द ही हो जाये?


वैसे हिन्दू दर्शन के अनुसार तो अग्नि को फूंक मारकर बुझाना सदैव से ही गलत माना जाता रहा है अक्सर हम लोगों ने अपने घर पर देखा है कि मंदिर में अगरबत्ती व धूपबत्ती आदि को हाथ से हवा झलकर ही अग्नि को शांत किया जाता है न कि फूंक मारकर... अब अगर यह फूंक मारकर मोमबत्ती बुझाने की प्रथा बन्द होती है तो वैश्विक स्तर पर सनातन दर्शन की एक और मान्यता को वैज्ञानिक आधार मिल जाएगा।


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