गाजियाबाद : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले साल पूरा होने पर देश के नाम एक पत्र लिखा जिस पत्र में उन्होंने सरकार के 1 साल की उपलब्धियों को बताने का प्रयास किया नरेंद्र मोदी पत्र के माध्यम से देश के सामने आए इसमें कोई दो राय नहीं कुछ मुद्दे ऐसे थे जो पिछले कई सालों से भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वायदे कर रखे थे मगर देश की जनता को शायद ही विश्वास होगा कि यह पूरे किए जा सकते हैं l
मगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने दूसरे कार्यकाल के पहले साल में इन पर काम करना शुरू कर दिया एक बार लगा इन मुद्दों की वजह से देश टूट ना जाए क्योंकि मुद्दे बहुत जटिल थे मगर प्रधानमंत्री ने संकल्प लिया कि उसे पूरा करने की हिम्मत भी दिखाई सबसे बड़ा मुद्दा धारा 370 था और दूसरा राम मंदिर मुद्दा पूरा करना इतना आसान नहीं था आज सरकार ने इन मुद्दों को पूरा कर उपलब्धि बताया हर चुनाव से पहले हर राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा पत्र जारी कर वायदा करता है कई बार बहुत वायदे किए तो जाते हैं मगर वह धरती पर उतर नहीं पाते फिर उन्हें अगले चुनाव तक टाल दिया जाता है केंद्र सरकार ने इन मुद्दों को उपलब्धि बताया धारा 370 राम मंदिर मुद्दा ट्रिपल तलाक नागरिकता संशोधन कानून जैसे ऐतिहासिक फैसलों को सरकार ने बड़ा कदम बता रही है सरकार की इस बात की मैं तारीफ करता हूं कि उन्होंने चुनावी घोषणा पत्र में लिखे इन मुद्दों को पूरा किया पूर्व में बहुत ही सरकारें भी अपने चुनावी घोषणापत्र को अमल में लाते रहे हैं मगर हां यह कहा जा सकता है कि यह मुद्दे पता नहीं क्यों देश तोड़ने या टूटने वाले ही कहा जाता रहा देश मजबूत हो पूरा देश हमारा है चाहे वह जम्मू कश्मीर हो या अन्य कोई प्रदेश सरकार का पहला फर्ज बनता है देश को एकजुट रखना और बराबर महत्व देना जहां तक इन मुद्दों की बात है यह वाकई सरकार की उपलब्धि है मगर अब मैं सरकार के अन्य घोषणा जिन्हें अब तक पूरा नहीं किया गया उसमें सबसे बड़ी घोषणा सरकार की थी हर साल 2 करोड़ नौजवानों को नौकरी देना रोजगार देना जो अब तक धरती पर अमल नहीं हो पाया बलिक सरकार के आने के बाद देश में बेरोजगारी बढ़ी है सरकार को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार करना चाहिए हर हाथ काम यही हमारा नारा होना चाहिए दूसरी घोषणा अच्छे दिन यह भी पता नहीं कब आएंगे पिछले 6 सालों से देश की 130 करोड़ जनता अच्छे दिन का इंतजार कर रही है मगर मैं कहना चाहता हूं अच्छे दिनों को छोड़ दें बलिक पहले वाले दिन ही आ जाएं जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के थे वहीं लौट आए तो देश के लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाए आज मध्यमवर्ग ज्यादा पीड़ित है अच्छे दिन के चक्कर में हालात और खराब हो गए आज हर इंसान परेशान है और ऊपर से यह करो ना बीमारी के चलते लॉक डाउन की जिंदगी से कब छुटकारा होगा अनलॉक डाउन खोलने के बाद भी क्या व्यापार चल पाएगा क्या रोजगार मिल पाएगा क्या जिंदगी में कुछ सुधार आ पाएगा यही सारे सवाल मध्यम वर्ग की जिंदगी में घूम रहे हैं मध्यमवर्ग की जिंदगी पटरी पर लाने के लिए समय लग सकता है काम धंधा बिल्कुल बंद है पिछले 70 दिनों से हर वर्ग के लोग लॉक डाउन में जिंदगी जी रहे हैं जिंदगी की रफ्तार धीमी हो चुकी है देश की सरकार रोजगार बढ़ाएं रोजगार होगा तो देश आगे बढ़ेगा मैंने पूर्व में भी लिखा था मुफ्त में कुछ नहीं रोजगार तो हर हाथ काम यही नारा अब लगना चाहिए रोजगार होगा तो जनता देश की सरकार की तरफ नहीं अपने कारोबार की तरफ देखेगी रोजगार से खुशियां आती हैं जिंदगी में रोजगार से अच्छे दिन आते हैं सरकार अपनी उपलब्धियां बताएं मगर आगे की घोषणा करें कल कारखाने लगाकर काम दे काम होगा तो देश आगे बढ़ेगा राहत पैकेज नहीं काम अब आप घोषणा कर रहे हैं 20 लाख करोड रुपए का पैकेज जब से इस पैकेज की घोषणा की गई है हर आदमी अपना हिसाब लगा रहा है के मेरे हिस्से में कितने आएंगे यह भी सरकार की बड़ी उपलब्धि मानता हूं इससे बड़ा राहत पैकेज आज तक घोषणा नहीं हुआ अब यह कितना धरती पर उतर कर आएगा यह बाद में पता चलेगा अगर 20 लाख करोड़ रूपया सरकार कल कारखानों में लगाए उद्योगों में लगाए तो हिंदुस्तान का एक भी नौजवान बेरोजगार नहीं होगा जिस देश के नौजवान के हाथ में काम होता है वह देश आगे बढ़ता है आखिर में एक बार फिर देश की केंद्र सरकार और उसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निवेदन करता हूं आप बड़े लीडर हैं पूरी दुनिया भी मानती है मगर और बड़े नेता बने देश के हर नौजवान को काम दे रोजगार दे इस लॉक डाउन के दौरान मजदूरों को इस प्रदेश से उस प्रदेश पैदल यात्रा करनी पड़ी अगर हर प्रदेश में काम होगा तो इस तरह की परेशानी कम आएगी मगर फिर भी लॉक डाउन की घोषणा शायद कुछ जल्दबाजी में हुई मजदूर अपने गांव पहुंच जाता मजदूरों के हालात देखकर बढ़ा गमगीन सा लगा जिस तरह मजदूर अपने परिवार के साथ औरत बच्चे बूढ़े सब सड़क पर आ गए शायद यहां हम जल्दबाजी मैं रहे अब जबकि रेलगाड़ियां शुरू हो चुकी हैं मगर फिर भी हालात अभी सुधर नहीं पा रहे हैं सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए सरदार मंजीत सिंह आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक
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