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मदर डे का काला सच जाने सभी भारत वासी अपने मात पिता का आशिर्वाद प्रतिदिन ले

गाजियाबाद: विदेशो में एक महिला 2 या तीन शादी करती है और पुरुष भी। इसलिए उनकी संताने 14 पंद्रह साल के होने के बाद अलग रहने लगते है।
और उनके जैविक माता पिता अपनी अपनी अलग अलग जिंदगी जीते है। इसलिए बच्चे साल में एक बार अपने माता या पिता से मिलने जाते है। लेकिन उनके माता पिता तो साथ रहते नहीं है।
इसलिए माता को मिलने का अलग दिन निर्धरित किया है और उसी तरह पिता से मिलने का अलग दिन।
जो मदर्स डे और फादर्स डे के नाम से जाने जाते है।
भारत में हम बच्चे अपने माता और पिता के साथ ही रहते है और वो दोनों भी पूरी जिंदगी अपने बच्चों के साथ रहते है। इसलिये यहाँ हर दिन माता पिता का है। उन्हें साल के एक दिन की जरुरत नहीं है।
माँ को याद करने के लिए किसी *"मदर डे"* की जरुरत नहीं , सनातन धर्म में तो माँ के कदमो में ही स्वर्ग बताया गया है।
यह मदर डे के चोचले तो उनके लिए है जो साल में एक बार अपनी माँ को याद करने का बहाना ढूंढते है , हमारी संस्कृति में सुबह घर से निकलते वक्त पहले माँ के *चरण* छूने की परम्परा है।


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