दिल्ली : पुलिसकर्मियों की असामयिक मृत्यु ने पुलिस विभाग को झझकोर कर रख दिया उस सँदर्भ में लिख रहा हूँ कि कई पुलिस अधिकारी/कर्मचारी अपने आप को सिंघम ,दबंग जैसा रोल वाले बनने की गलतफहमी से अनावश्यक दवाब ले लेतें है और बीपी,शुगर जैसे राज रोग अनावश्यक रूप से ग्रहण कर लेते है ।
आप स्वम्ं अपने आप को प्राथमिकता दो।पुलिसिंग एक सिस्टम है।जिसमे आप मात्र एक छोटा सा हिस्सा हो।आप नही होंगे तो कोई और होगा।
पुलिस कर्मियों की रेटिंग,थानों की रेटिंग,ऐसे लग रहा है कि कोई टेलेंट शो चल रहा है।जिसमे फर्स्ट आना है,अधिकारियों की नज़र में चढ़ना है।उनके गलत सही काम करके अपनी काबलियत दर्शानी है।सोशल मीडिया पर छाना है।
ये सब अनावश्यक तनाव बढ़ाती हैं। आप केवल सिस्टम को समझ कर अपना पार्ट प्ले करो,
ये जनसहयोग से चीज़े सामान खाना वितरित करवाना,सेठो से मदद लेना आदि काम पुलिस के नही है।
पुलिस को अपनी व परिवार की चिंता खुद करनी होगी।परिवार को भी, खुद की ज़िंदगी को भी प्राथमिकता देना सीखना होगा। आप कोई भी ऐसा काम नहीं कर रहे जो आपसे पहले किसी ने नहीं किया होगा।इसलिए अपनी सीमाओं में रह कर नॉकरी करें।गलतफहमी का बोझ अब पुलिस के लिए जानलेवा होता जा रहा है।जीवित रहें नौकरी आपकी जीवन यापन का साधन है।अति उत्साह में अपना सब कुछ इसे नहीं दे।कभी स्वयं पे अभिमान होने लगे तो सोचें कि पुलिस में आने से पहले आप क्या थे।बहुत कुछ पाया हैआपने इससे।लेकिन आप ख़ुदा नहीं हो।अपनी सीमाएं जाने,विनम्र बने। चार्जशीट,एफआर,सस्पेंशन,16,17 के नोटिस की चिंता में खुद को खत्म मत करो।
पुलिस विभाग भय मुक्त एवम् दवाब मुक्त हो कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे।असीमित अपेक्षाओं की पूर्ति करना किसी के लिए सम्भव नहीं है
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