दिल्ली: इस भीसड महामारी में एक तरफ भारत मे लोकडाउन के चलते सभी लोग काफी सहमे हुए है और इस बीमारी से अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं ।
दूसरी तरफ मजदूर वर्ग बेरोजगारी की मार झेल रहा है और भूखो मरने के कगार पर है । ऐसे में सरकार को इन लोगो की रोटी-रोजी को ध्यान में रखते बन्द इंडस्ट्रीज को दुबारा रनिंग में लाने पर कार्य कर लोगो को रोजगार देना था न कि इन को शराब परोसने का कार्य करना चाहिए था ।
जब सरकार ने लोकडाउन घोषित किया था उस वक्त जनता में बल पूर्वक तर्क दिया गया था कि इस महामारी का बचाव एक मात्र सोसल डिस्टेंस है । इसलिए भारत की तमाम गतिविधियों को बंद कर धारा 144 लगायी जाती हैं । महामारी को जड़ से खत्म करने के कारण जनता ने उस दिन से आज तक शासन का पूरा साथ भी दिया । जिस का ज़िक्र प्रधानमंत्री जी ने अपने संबोधन भी किया है और प्रशासन ने भी इस महामारी से निबटने के लिए जी तोड़ मेहनत की। यहां तक की उस दिन से आज तक दान दाताओं व संमाज सेवियों ने भी बढ़ चढ़ कर दरियादिली दिखाते हुए तन मन धन से सहयोग किया । लेकिन सरकार के एक फैसले ने सब की मंसाओ पर ग्रहण लगाने का कार्य किया है । माना कि सरकार को इस फैसले से सबसे ज्यादा आमदनी होगी लेकिन इनके दुष्प्रभावों की अनदेखी भी नहीं की जानी चाहिए ।
1 . सब से पहले सोशल डिस्टेंस का उलंघन होगा जैसा कि आज देखा गया है
2 . पुलिस प्रसासन को ठेकों पर होने वाले झगड़ों पर अपनी एनर्जी खत्म करनी होगी ।
3 महिलाओ पर अत्याचार बढ़ेंगे ।
4 . अपराध का ग्राफ बढेगा ।
5 . नशेड़ी घर का खर्च दारू में करेंगे और परिवार के लोग भूखो मरेंगे ।
6 . पीने के बाद नसे में नसेड़ी कितने लोगों को टच करेगा जिस से महामारी में भयँकर इजाफा होने की सम्भावना है ।
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