जब सरकार कामगारों से बस व ट्रेन का किराया वसूल रही है , तो सरकार ने मेहुल चोकसी जैसे 50 उद्योगपतियों के *68 हजार 607 करोड रूपये* के कर्जे क्यों माफ किए गये ? लगता है सरकार को देश के उद्योगपतियों से प्रेम है I
लेकिन देश के कामगारों से कोई मोहब्बत नहीं है I इसलिए शायद 40 दिन के लॉक डाउन के बाद और कामगारो को नाकाफी वेतन दिलवाने के बाद भी , अब जबकि कामगारों पर पैसा नहीं है फिर भी सरकार कामगारों से ही बसों व ट्रेनों का किराया वसूल रही है l क्या ऐसी स्थिति में सरकार कामगारों के लिए बसों या ट्रेनों का किराया फ्री नहीं कर सकती है I *युवा बेरोजगार काम का सेवा समिति* भारत सरकार से यह मांग करती है कि जितने भी कामगार जो देशो के अलग -अलग प्रदेश में काम करने गये हैं I उन्हें ट्रेन द्वारा लाने के लिए उनसे किसी प्रकार का भी किराया न लिया जाये l उन्हें नि:शुल्क उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाया जाए I
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