निजी स्कूलों की फीस माफ करने को लेकर दाखिल याचिका खारिज, सरकार को शासनादेश जारी करने का आदेश देने की याचिका में हुई थी मांग
प्रयागराज।लॉकडाउन और उसके बाद स्कूल के बंद होने के बावजूद ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं। बच्चों को वीडियो और अन्य माध्यमों से पढ़ाया जा रहा है। होमवर्क भी दिया जा रहा है। होमवर्क चेक भी हो रहा है। इन तथ्यों के आधार पर यह कहना सही नहीं है कि स्कूलों में छुट्टियां हैं। इसके आधार पर बच्चों की फीस माफ कर दी जाय। इस टिप्पणी के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की फीस माफ करने को लेकर दाखिल जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।
कोरोना संक्रमण से स्कूल बंद होने का हवाला
यह आदेश जस्टिस सुनीता अग्रवाल और एसडी सिंह की बेंच ने आशुतोष कुमार पांडेय की याचिका पर दिया है। याचिका पर भारत सरकार के अधिवक्ता संजय यादव ने प्रतिवाद किया। याची का कहना था कि कोरोना संक्रमण के दौरान सभी स्कूल बंद चल रहे हैं। इससे एक प्रकार से स्कूल छुट्टियां मना रहे हैं। ऐसी स्थिति सरकार को शासनादेश जारी करने का आदेश दिया जाय कि निजी स्कूलों अभिभावकों से मासिक फीस जिसमें ट्यूशन और अन्य सुविधाओं के शुल्क शामिल होते हैं वह न वसूला जाय। कोविड-19 के मद्देनजर घोषित लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूल मासिक फीस न लें। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि याची द्वारा कहीं बातें सत्य नहीं हैं और याचिका में पर्याप्त तथ्य नहीं हैं, जिस पर हस्तक्षेप किया जाय। कोर्ट ने कहा कि याचिका में आदेश देने योग्य पर्याप्त तथ्य नहीं दिए गए हैं।
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