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चाचा नेहरू की 7 ऐतिहासिक गलतियों की कीमत चुका रहा भारत! 

दिल्ली : भारत को मिली आजादी के बाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे चाचा नेहरू


 


1. सन 1951 में नेपाल के राजा गिरिभुवन ने नेपाल को भारत में विलय करने का प्रस्ताव दिया था। चाचा नेहरू ने इन्कार कर दिया था।


 


2. बलुचिस्तान के नवाब खान ने नेहरू को पत्र लिखकर बाकायदा अनुरोध किया था कि बलुचिस्तान को भारत के साथ शामिल करने की कृपा करें.. हम भारत के साथ रहना चाहते हैं। नेहरू ने इन्कार कर दिया। नतीजा पाकिस्तान ने बंदूक के बल पर बलुचिस्तान को कब्जा कर लिया। सोचिए कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी हमें।


 


3. सन् 1947 में ओमान देश ने ग्वादर पोर्ट को भारत देश को लेने के लिए  


ऑफर दिया था। नेहरू ने यह ऑफर ठुकरा दिया था। नतीजा पाकिस्तान ने ले लिया, फिर चीन को दे दिया। आज चीन हमारे ऊपर डंडा घुमा रहा है।


 


4. सन् 1950 में चाचा नेहरू ने कोको आइलैंड को बर्मा को दान में दे दिया। बर्मा ने चीन को बेच दिया। नतीजा आज चीन हमारे नौसेना की जासूसी करता है।


 


5. 1952 में चाचा ने अपने स्वार्थ मे 32327 वर्ग किलोमीटर का एरिया बर्मा को दान कर दिया था। इस स्थान का नाम है कावाओ वेली ये कश्मीर के जैसा ही सुंदर और रमणीक स्थल था। बाद में बर्मा ने चीन को यह भी बेच दिया।नतीजा आज चीन वहां से हमारे ऊपर जासूसी करता है और आंखें दिखाता है।सोचिए कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।


 


6. देश की आजादी के तुरंत बाद में अमेरिका के राष्ट्रपति ने नेहरू को कहा था कि आप न्युक्लियर पावर का देश बनने के लिए प्लांट लगाए UNO का स्थाई सदस्य बन जाओगे चाचा नेहरू ने इन्कार कर दिया और चीन को सदस्य बनाया। कितनी बड़ी क्षति हुई है अंदाजा लगाइए ।


 


7. सन् 1962 के चीन के साथ युद्ध में भारत के वायुसेना के प्लान के मुताबिक युद्ध लड़ने के लिए मना कर दिया और आत्मसमर्पण कर दिया। और चीन को 34000 बर्ग किलोमीटर का एरिया चीन को सौंप दिया भेंट स्वरूप। इस युद्ध में 3000 से अधिक भारत के जवान शहीद हुए थे। इसी एरिया को अक्साई चीन कहते हैं।


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