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कलयुग  हमने देखा कलयुग का यह  कैसा दुखद प्रभाव रहा

कलयुग 


हमने देखा कलयुग का यह


 कैसा दुखद प्रभाव रहा 


जो फांसी के फंदे चूमे 


उनको आतंकी गया कहा 


 


कुछ अंग्रेजों के चाटुकार बन


संग में समय बिताते थे


यद्यपि जेलों में जाते पर


सारी सुविधा पाते थे 


अंग्रेजों का उनके संग ही 


पूरा मेल मिलाप रहा ।हमने--


 


पर त्यागी सपूत देश के 


जिनसे अंग्रेज डरे रहे


वे फांसी के फंदे झूले 


या काला पानी दंड सहे


इनके ऊपर ही अंग्रेजों का


 सारा अत्याचार ढहा।हमने 


 


सुभाष सावरकर शेखर भगत


वीरों से अंग्रेज सहम गए


अब न भारत में रह पायेंगे 


माता के टुकड़े करा दिए 


हिन्दू ने इस बटवारे से 


अपनों का दर्द विछोह सहा। हमने


 


मित्र को सत्ता सौंप दिया है 


यह भारत का दुर्भाग्य रहा 


योग्य न शासक था बन पाया 


इसको ही कलयुग गया कहा 


गांधी की बात न मानी है 


सत्तर वर्षों तक देश दहा।। हमने 


 


कलयुग समाप्त हो जायेगा जब


वह दिन भी आ जायेगा 


तब भारत का कोई सपूत 


भारत भाग्य जगायेगा


मां फिर से वह पा जायेगी 


जो जग में उसका ठांव रहा 


हमने देखा कलयुग का यह 


कैसा दुखद प्रभाव रहा ।।


         कन्हैया लाल खरे


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