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28 जुलाई 2020 को मजदूर विरोधी उप श्रम आयुक्त को हटाने की मांग पर डीएम कार्यालय पर ट्रेड यूनियनें करेंगी विरोध प्रदर्शन

नोएडा, 28 जुलाई 2020 को श्रमिकों की समस्याओं/ मांगों के प्रति उदासीन मजदूर विरोधी उप श्रम आयुक्त श्री पी.के. सिंह को दंडित कर पद से हटाकर योग्य उप श्रमायुक्त की जनपद गौतम बुद्ध नगर में तैनाती किए जाने की मांग पर डीएम कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा! यह निर्णय ट्रेड यूनियन नेताओं की सेक्टर 3 नोएडा में हुई संयुक्त बैठक में लिया गया।


बैठक में मौजूद ट्रेड यूनियन नेता सुधीर त्यागी, आरपी सिंह चौहान, गंगेश्वर दत्त शर्मा, रामसागर, संतोष तिवारी, आदि ने बताया कि गौतमबुद्धनगर में जब से उप श्रम आयुक्त के पद पर पीके सिंह की नियुक्ति हुई है तभी से श्रम विभाग की मजदूरों के प्रति उदासीनता बड़ी है और श्रमिकों के उत्पीड़न में जबरदस्त वृद्धि हुई है तथा ट्रेड यूनियनों/ श्रमिकों की शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है लंबे समय से श्रम बंधु की बैठक भी नहीं कराई गई जबकि उद्योग बंधु की कई बार बैठक हो चुकी है। कोविड-19 से सबसे ज्यादा मजदूर प्रभावित हुए लेकिन उप श्रम आयुक्त या जिलाधिकारी ने एक बार भी श्रमिक प्रतिनिधियों को बुलाकर श्रमिकों के पक्ष व उनकी पीड़ा को नहीं सुना जबकि कई बार ट्रेड यूनियन नेताओं ने श्रम बंधु की बैठक बुलाने की मांग उठाई इसके बाद भी उप श्रमायुक्त ने बैठक बुलवाने की जरूरत नहीं समझी।


लॉकडाउन अवधि के वेतन का मजदूरों को भुगतान ने कराने, कारखाने से हो रही मजदूरों की छटनी, बंदी, लॉकडाउन, गैरकानूनी तरीके से मजदूरों को नौकरी से निकालने पर रोक लगाने, समय से मजदूरों के वेतन का भुगतान कराने आदि में उप श्रम आयुक्त श्री पी के सिंह पूरी तरह सफल रहे हैं,इसीलिए जनपद की सभी ट्रेड यूनियनों ने उप श्रम आयुक्त को हटाकर अन्य किसी योग्य अधिकारी की नियुक्ति की मांग पर पूरे जनपद में अभियान चलाकर 28 जुलाई 2020 को जिलाधिकारी कार्यालय सूरजपुर ग्रेटर नोएडा पर प्रातः 11:00 बजे से धरना प्रदर्शन कर जिलाधिकारी के माध्यम से शासन प्रशासन को ज्ञापन दिया जाएगा।


उपरोक्त डीएलसी को हटाने के अभियान और आंदोलन में इंटक, एटक, हिंद मजदूर सभा, सी आई टी यू, एक्टू, यूटीयूसी, यूपीएलएफ, टीयूसीआई, नोएडा कामगार महासंघ तथा विभिन्न संस्थान स्तर की पंजीकृत ट्रेड यूनियनें हिस्सा लेंगी।


बैठक में सभी ट्रेड यूनियन नेताओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में मजदूरों को संगठित कर प्रदर्शन में शामिल कराने की अलग-अलग जिम्मेदारी दी गई।


 


 


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