5 जुलाई को ही परीक्षा नहीं करवाने की घोषणा की थी।
दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने स्पष्ट कर दिया है कि कोरोना काल में कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में फाइनल सेमेस्टर यानि अंतिम वर्ष की परीक्षा तो ली जाएगी। यूजीसी ने यह निर्णय 6 जुलाई को लिया है। इस निर्णय के बाद ही सवाल उठा है कि क्या अब राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार कॉलेज-यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं करवाएगी? मालूम हो कि 5 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में उच्च शिक्षण संस्थानों की सभी परीक्षाएं रदद करने का निर्णय लिया था। बैठक के बाद जारी सरकारी प्रेस नोट में कहा गया कि विद्यार्थियों को अंक देने या अगली कक्षा में प्रमोट करने के मामले में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के दिशा निर्देश माने जाएंगे। सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का स्वागत भी कर दिया। परीक्षा रद्द करवाने को लेकर एनएसयूआई के प्रतिनिधियों ने जयपुर में तीन दिनों तक धरना भी दिया था, लेकिन अब प्रदेशभर के विद्यार्थियों के सामने समस्या खड़ी हो गई है कि यदि यूजीसी के निर्देशों का पालन किया जाता है तो राजस्थान में भी कॉलेज-यूनिवर्सिटी की परीक्षाएं होंगी। गहलोत सरकार के लिए यूजीसी के निर्देश नहीं मानना आसान नहीं होगा, क्योंकि राज्य सरकार के दबाव में ही राज्य शिक्षा बोर्ड ने 15 से 30 जून के बीच 10वीं और 12वीं कक्षाओं की बकाया परीक्षा ली है। इन परीक्षाओं में 20 लाख विद्यार्थियों ने भाग लिया, जबकि कॉलेज-यूनिवर्सिटी की परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम होगी। राज्य सरकार को अब इस मामले में जल्द निर्णय लेना चाहिए, क्योंकि लाखों विद्यार्थियों के सामने असमंजस की स्थिति हो गई है। सरकार ने तकनीकी शिक्षा से जुड़ी परीक्षाएं भी रद्द कर दी है, लेकिन इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों के सामने भी समस्या खड़ी हो गई है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में तो सेमेस्टर सिस्टम से ही परीक्षा होती है।
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