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इंसान भूखा हो तो उसे भगवान की तस्वीर भी अच्छी नहीं लगती नेताओं के भाषण तो क्या अच्छे लगेंगे : सरदार मंजीत सिंह 

गाजियाबाद : भूख और स्टेटस को बचाने की मुहिम देश कहां जा रहा है क्या हम 40 साल पीछे जाते जा रहे हैं | देश में गरीबों की संख्या बढ़ती जा रही है बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है भूख भी बढ़ती जा रही है | आप एक बार किसी व्यक्ति से पूछ कर देखो क्या राशन चाहिए उसका जवाब एकदम हां होता है ना जाने उसे डर पैदा हो जाता है कहीं दुबारा पूछे ना पूछें |


इसलिए पहले झटके में ही हां जब से करो ना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगा और बाद में अनलॉक दोनों ही समय जब जब सड़क पर राशन बांटने वाले उतरे तो उन्हें लंबी लाइन ही मिली | जैसे पता नहीं बांटने वाले कल आएंगे या नहीं अगर लोग राशन या अन्य सामान लेने के लिए सड़क पर आ रहे हैं मन में बहुत से लोग जो हमारी नजरों में खाता पीता परिवार नजर आते हैं | वह भी सड़क पर थे हर इंसान चाहे मध्यमवर्ग बेरोजगार वर्ग मजदूर वर्ग गरीब सभी को अपना भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है दूसरी तरफ आरबीआई के पूर्व गवर्नर राजन कह रहे हैं सरकार को एक और राहत पैकेज का ऐलान करना चाहिए |


जैसे पहले 20 लाख करोड रुपए का किया लगातार जीडीपी गिरती जा रही है ऐसा ना हो हम 40 साल पीछे चले जाएं रेटिंग एजेंसी इकरा ने चालू वित्त वर्ष में देश के ग्रास डी मास्टिक प्रोडक्ट जीडीपी में गिरावट का अनुमान बढ़ाया | उसके अनुसार 2020 21 में जीडीपी 9 पॉइंट 5 प्रतिशत गिरावट आ सकती है पहले लगभग 5% का अनुमान जताया गया था | रेटिंग एजेंसी के अनुसार कुछ राज्यों में अभी भी लॉकडाउन जारी रहने से मई-जून में शुरू हुई रिकवरी प्रभावित हुई है दूसरी तरफ देश में महंगाई बढ़ती जा रही है और महंगाई जल्द खत्म भी नहीं होगी | ऐसा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में मजदूरों की कमी के चलते सप्लाई चैन के प्रभावित होने के साथ कई और अन्य कारणों से खुदरा महंगाई की दर में फिलहाल गिरावट आने की संभावना कम है | रिपोर्ट में कहा गया जून 2020 की खुदरा महंगाई दर 6 पॉइंट 98% है दूसरी तरफ सरकार का कथन राहत का ऐलान जल्द छोटे कारोबारियों पर रहेगा जोर सरकार का कथन है | ऐसे सेक्टरों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनसे रोजगार के ज्यादा अवसर बने खुद प्रधानमंत्री जी ने मोर्चा संभाल लिया है एक संयुक्त बैठक बुला प्रधानमंत्री जी ने जिसमें वित्त वाणिज्य मंत्रालयों नीति आयोग और प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद की एक संयुक्त बैठक कर बैठक का मुख्य फोकस मुख्य रूप से छोटे कारोबारियों को बढ़ते केविट संकट से बचाने वह इकोनामिक ग्रोथ के साथ नौकरियों के अवसर बढ़ाने पर रहा | इस करोना महामारी की सबसे ज्यादा मार मध्यमवर्ग को झेलनी पड़ रही है खुद का कारोबार भी समाप्त होने के कगार पर पहुंच गया और खर्च कम होने की वजह बढ़ते जा रहे हैं | उसे अपना सामाजिक स्तर बचाना भारी पड़ रहा है सबसे ज्यादा मार भी मध्यमवर्ग सहन कर रहा है और कुछ बोल भी नहीं पा रहा | छोटे कारोबारियों अपना कारोबार समेटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है | आईएमएफ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है केविड संकट में सबसे ज्यादा नुकसान छोटे कारोबारियों को हुआ छोटा व्यापारी कभी अपना कारोबार समेट ने के लिए मजबूर हो सकता है | देश में रोजगार बढ़ाने में पर विचार हो बैंक ऋण देकर छोटे व्यापारियों को आगे बढ़ा सकते हैं सरकार सुविधा तो देने की सोचती हैं मगर व्यापारी सोचता है | सरकार चाहती तो हालात इतने खराब स्थिति में नहीं होते सरकार ने कुछ भी माफ नहीं किया राहत घोषणा की बलिक ऐसे समय कुछ लोगों ने मजबूरी का लाभ उठाने का पूरा प्रयास किया आम लोगों के मन में मददगार शब्द समाप्त हो गया और हम लूट मैं हिस्सेदार हो गए | देश के हालात ज्यादा खराब हैं मगर अभी शहद यह बात सरकार को चलाने वाले नहीं समझ पा रहे जो मजदूर गांव पैदल चल पहुंचा था काम ना मिलने से वापस आना चाहता है मगर अभी लॉकडाउन कुछ राज्यों में लगा है | वापसी के रास्ते भी बंद हैं सरकार कुछ क्षेत्रों को प्राइवेट के हवाले करने की सोचती है मगर मध्यम वर्ग के पास तो कुछ ऐसा है भी नहीं जिसे बेच दे क्योंकि दुकान किराए की मकान किराए का जो दिया नहीं जा रहा | हालात बिगड़ने लगे हैं जल्द कुछ सोचा जाए देश में सबसे बड़ा वर्ग मध्यमवर्ग है अगर मध्यमवर्ग और पि स गया तो हालात ज्यादा खराब हो जाएंगे | जो भी सरकार बोल रही है राहत का ऐलान जल्द होगा मगर एक बात सरकार समझ ले जब इंसान भूखा हो तो उसे भगवान की तस्वीर भी अच्छी नहीं लगती तो नेताओं के भाषण क्या अच्छे लगेंगे | अब सिर्फ भाषण देने से काम नहीं चलेगा आम इंसान के मन में यह बात धारण कर चुकी है कि मेरी सुनने वाला कोई नहीं या तो वह अपने आप को खुद के हाल पर छोड़ दे सरकार ने अभी राहत पैकेज में कहा था कि पूरे देश में नवंबर 2020 तक 80 करोड़ लोगों को राशन मुक्त बांटा जाएगा और बांटा भी जा रहा है | पहले तो सरकार यह जान ले भूख सिर्फ पेट कि नहीं और भी बहुत सी ऐसी आवश्यकता है जिन की पूर्ति करना भी आवश्यक होता है शहर में रहने वाले लोगों में और गांव में रहने वालों में अंतर होता है | गांव वालों की जरूरत सीमित होती हैं और शहर में रहने वाले ज्यादा मुसीबत सहन करते हैं सरकार जल्द रास्ते तलाशे क्या सरकार मुफ्त कुछ ना देकर रोजगार बढ़ाएं कल कारखाने उद्योग लगाएं ताकि लोगों को रोजगार मिले | क्या सरकार मुफ्त राशन बांट लोगों की मदद कर रही है या उन्हें गलत दिशा में भेज रही है हालात खराब है और खराब होते जा रहे हैं आत्मनिर्भर का नारा लगाने से आत्मनिर्भर नहीं हो जाएंगे | इसके लिए सभी वर्गों को साथ लेकर चलना होगा सभी की समस्याओं का ध्यान रख देश को आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए अगर हम ऐसा नहीं कर पाए तो डर कर कहना चाहता हूं कि देश में आत्महत्या का प्रचलन ना बढ़ जाए | मौजूदा हालात में देश चारों तरफ से घिरा है करोना महामारी बाढ़ चीन पाकिस्तान की सरहद पर खतरा इसलिए हिंदुस्तान की जनता को खुद मिल कर भी एक दूसरे की मदद के लिए खड़ा होना पड़ेगा तभी हम देश को आगे ले जा पा सकते हैं | लूट नहीं मददगार बने एक दूसरे के देश हमारा है हमें ही आगे बढ़ाना है इस समस्या का समाधान कैसे होगा जो बेरोजगारी फैलती जा रही है | सरकार के साथ-साथ आप सब मिलकर सोचें आप सब मिलकर सोचे | 


 


सरदार मंजीत सिंह 


आध्यात्मिक एवं सामाजिक विचारक


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