दिल्ली : कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. साथ ही प्राइवेट अस्पतालों के मरीजों से मोटी रकम वसूलने के मामले भी सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के नोएडा का है. यहां पर 28 जून को एक कोरोना पॉजिटिव शख्स की मौत हो गई. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल ने परिवार को करीब 14 लाख रुपये का बिल थमाया. परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे, तो उन्होंने स्टांप पेपर के जरिए पैसे चुकाने का वादा किया. इसके बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए भेजा गया. मामला सामने आने के बाद नोएडा प्रशासन ने जांच की बात कही है.
क्या है मामला
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की खबर के अनुसार, नोएडा निवासी एक व्यक्ति को 7 जून को फॉर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया.
28 जून को उसकी मौत हो गई. वह 15 दिन से वेंटिलेटर पर था. मौत की खबर मिलने पर परिवार अस्पताल पहुंचा. परिवार ने अखबार को बताया कि उनसे इलाज के 14 लाख रुपये चुकाने को कहा गया. लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे. ऐसे में अस्पताल ने चार लाख रुपये इंश्योरेंस पॉलिसी के जरिए कम किए. 25 हजार रुपये परिवार ने अस्पताल में जमा कराए. लेकिन फिर भी 10 लाख रुपये बच गए.
स्टांप पेपर पर लिया पैसे चुकाने का वादा
रिपोर्ट के अनुसार, परिवार ने कहा कि अस्पताल ने उनसे स्टांप पेपर पर बकाया पैसे लेने का वादा लिया. मृतक के परिवार ने कहा कि बकाया पैसों को लेकर सेटलमेंट नहीं होने तक शव अस्पताल में ही रहा. पैसों की बात बनने के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए दिया गया.
मृतक के भतीजे ने ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ से कहा कि अस्पताल ने बिल में वेंटिलेटर चार्ज के साथ ही पीपीई किट, दवाओं और बेड चार्ज भी जोड़ रखा था. बिल में दवाओं की कीमत ही छह लाख रुपये के करीब थी.
अस्पताल ने कहा- सरकार की ओर से तय चार्ज ही लिया
अस्पताल का कहना है कि मेडिकल बिल में पैसे इलाज के अनुसार ही जोड़े गए. केंद्र सरकार की ओर से तय चार्ज ही लगाया गया. साथ ही मरीज के बिल में दवाओं और इलाज में डिस्काउंट भी दिया गया. अस्पताल ने कहा कि मरीज के परिवार को हर कदम पर इलाज की जानकारी दी गई. इलाज के लिए जो भी किया गया, उसकी जानकारी सीएमओ को भी दी गई है. अस्पताल का दावा है कि बिल बढ़ा-चढ़ाकर नहीं दिया गया है.
जिला प्रशासन कर रहा जांच
मामले की शिकायत जिला प्रशासन के पास भी पहुंची है. गौतम बुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में ज्यादा पैसे लेने की बात कही गई है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग जांच कर रहा है.
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