दिल्ली : आपने कहा था कि सरकारी अस्पताल में कोई ख़तरा नहीं होगा. और मैंने मना किया था. लेकिन इसके बाद भी आपने मुझे अस्पताल में भर्ती करा दिया. आपने मेरी बात नहीं मानी कि डॉक्टर मार डालेंगे. यहाँ कोई नहीं बचेगा. मुझे अब साँस नहीं आ रही है. मेरे बार बार मिन्नतें करने पर भी उन्होंने मेरी ऑक्सीजन बंद कर दी है."ये हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में मरने वाले शख़्स के आख़िरी शब्द हैं.मरते हुए रिकॉर्ड किया गया ये वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया है.
34 वर्षीय रवि कुमार के पिता इर्रगड्डा अस्पताल में काम करने वालों पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने उनके बेटे रवि की ऑक्सीजन रोककर उनकी जान ले ली.
लेकिन अस्पताल प्रशासन इन आरोपों का खंडन करता है.
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कोरोना वायरस ने सीधे रवि के दिल पर हमला किया था जिसकी वजह से वे उन्हें बचा नहीं सके.
रवि कुमार के सेल्फ़ी वीडियो से पहले क्या हुआ?
रविवार को बीती 24 जून को तेज बुख़ार और साँस लेने में दिक़्क़त होने के बाद इर्रागड्डा जनरल एवं चेस्ट अस्पताल (सरकारी) में भर्ती कराया गया. लेकिन दो दिनों के अंदर ही रवि की मौत हो गई. किसी को नहीं पता था कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित थे या नहीं. इससे पहले 23 तारीख़ को रवि के पिता वेंकटस्वारलू रवि का बुख़ार बढ़ने और साँस लेने में दिक़्क़त आने पर उन्हें लेकर एक नज़दीकी अस्पताल में गए थे. चूँकि रवि को बुख़ार था, इसलिए अस्पताल वालों ने स्पष्ट रूप से कहा कि ये कोरोना 2 केस हो सकता है. और अगर वे कोरोना टेस्ट रिपोर्ट के साथ आए तो वे उन्हें भर्ती कर सकते हैं. इसके बाद वेंकटस्वारलु दस अस्पतालों में गए लेकिन किसी ने भी रवि का इलाज करने से मना कर दिया.
बीबीसी से बात करते हुए वेंकटस्वारलु कहते हैं कि अस्पताल वालों ने उन्हें दरवाज़े के अंदर भी घुसने नहीं दिया.
आगे लिखी बातों को ज़रा सावधानी के साथ पढ़ें क्योंकि कुछ बातें आपको विचलित कर सकती है.
ये रवि कुमार की मौत से पहले का आख़िरी बयान है.
रवि कहते है, "पापा, मुझे ऑक्सीजन नहीं मिल रही है. मैं मर रहा हूँ. अलविदा पापा."
(ये वीडियो मृतक ने अपने जीवन के आख़िरी क्षणों में बनाकर अपने पिता को भेजा था जो कि अब वायरल हो गया है. रवि कुमार नाम के इस मरीज़ की मौत हैदराबाद के जनरल एवं चेस्ट अस्पताल में हुई है. पिता वेंकटस्वारलु बच्चे की मौत के लिए अस्पताल वालों की लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं, अस्पताल सुपरीटेंडेंट महबूब ख़ान के मुताबिक़, रवि कुमार ऑक्सीजन पर थे और उनकी मौत की वजह कोरोना वायरस के ह्रदय तक पहुँचना है.)
बीबीसी से बात करते हुए रवि के पिता कहते हैं, "उन्होंने शरीर का तापमान मापा और इसके बाद अस्पताल के दरवाज़े बंद कर लिए. छोटे से अस्पताल से लेकर कॉरपोरेट अस्पताल वालों में से किसी ने मेरे बच्चे को भर्ती नहीं किया."
क्योंकि अस्पताल वाले कोविड टेस्ट की रिपोर्ट माँग रहे थे, इसलिए मैंने कोरोना टेस्ट कराने की कोशिश की. लेकिन ये भी छलावा जैसा ही था. हर टेस्ट सेंटर के बाहर कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीज़ सैकड़ों की संख्या में खड़े थे. जब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपने बेटे का टेस्ट करवा भी पाऊँगा या नहीं, तभी किसी ने मुझे बताया कि मैं प्राइवेट टेस्ट करा सकता हूँ. मैंने ऐसा भी कराया. लेकिन उसकी रिपोर्ट मेरे बेटे की मौत के बाद आई है."
वेंकटस्वारलु ने कोविड 19 के लिए सैंपल देने के बाद रवि को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया.
वेंकटस्वारलु कहते हैं कि रवि को तब भी साँस लेने में दिक़्क़त महसूस हो रही थीं.
उन्होंने कहा कि जब रवि ने रात के वो वॉट्सऐप मैसेज भेजा तो वह अस्पताल के पास ही थे और रवि ने 12:45 पर मैसेज भेजा था.
वेंकटस्वारलु कहते हैं, "मैं अस्पताल परिसर में ही सो रहा था कि तभी 2 बजे मेरी नींद खुली और मैंने अपना फ़ोन देखा तो मुझे मेरे बेटे का वीडियो मिला जिसमें वह कह रहा था - पापा, मैं मर रहा हूँ. अलविदा."
"ये वीडियो देखते ही मैं उसके वार्ड की ओर भागा.
अस्पताल वालों की लापरवाही?
वेंकटस्वारलु कहते हैं कि उस वक़्त अस्पताल वालों से कुछ भी पूछने का समय नहीं था. उन्होंने मुझे जल्दी से मेरे बच्चे का मृत शरीर अस्पताल से ले जाने को कहा.
उन्होंने ये भी कहा कि एंबुलेंस वाले कर्मचारी उपलब्ध नहीं है. वे हमारे साथ पागलों जैसा व्यवहार कर रहे थे.
जब मैंने थोड़ा नाराज़ होकर पूछा तो उन्होंने कहा कि मैं जिससे चाहूँ उससे उनकी शिकायत कर सकता हूँ.
वेंकटस्वारलु इस बात को लेकर आश्चर्य में थे कि उनके बेटे की ऑक्सीजन क्यों हटाई गई जबकि उनके आसपास मरीज़ भी नहीं थे.
बीबीसी ने अस्पताल के सुपरिटेंडेंट से बात करके इस मामले की तह में जाने की कोशिश की.
सुपरिटेंडेंट महबूब ख़ान कहते हैं, "हमने ऑक्सीजन या वैंटीलेटर नहीं हटाया था. आप स्वयं देख सकते हैं कि उसने नाक के नीचे से ऑक्सीजन पाइप हटा दिया था."
ख़ान ये भी कहते हैं कि रवि कुमार का भर्ती होने के दो दिनों के अंदर मरना बेहद दुर्भाग्यशाली है.
वे बताते हैं, "हाल के दिनों में कोरोना सीधे दिल पर चोट कर रहा है. हम कितनी भी ऑक्सीजन दे दें, उसका कोई फ़ायदा नहीं है. क्योंकि वायरस का असर हर अंग पर अलग अलग होगा."
ख़ान अस्पताल पर लगे आरोपों का खंडन करते हुए कहते हैं कि उनके कर्मचारियों ने ऑक्सीजन नहीं हटाई.
वे कहते हैं, "हमने रवि को पर्याप्त ऑक्सीजन दी थी. हमारे कर्मचारी उनके अस्पताल में भर्ती होने के समय से उनका ध्यान रख रहे थे."
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