दिल्ली: दशको इंतजार के बाद बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नई शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) को मंजूरी दे दी गई है। प्रेसवार्ता के दौरान केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि 34 साल से शिक्षा नीति में परिवर्तन नहीं हुआ था, इसलिए शिक्षा नीति में बदलाव बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रेसवार्ता में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद थें। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण प्रकाश जावड़ेकर ने इस दौरान एक प्रेजेंटेशन देकर नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से जानकारी दी । जिसमें नई शिक्षा नीति की 6 खास बातें विषेश है।
नंबर-1, अब नई शिक्षा नीति में भाषा के विकल्प को बढ़ा दिया गया है‚ अब कक्षा – 6 से कक्षा-8 तक के बच्चों/छात्रों को कम से कम दो साल का लैंग्वेज कोर्स करना जरूरी होगा। सरकार का कहना है कि छात्र 2 से 8 साल की उम्र में जल्दी भाषाएं सीख जाते हैं‚ इसलिए उन्हें शुरुआत से ही स्थानीय भाषा के साथ तीन अलग-अलग भाषाओं में शिक्षा देने का प्रावधान रखा गया है।
नंबर-2‚ – केंद्र सरकार द्वारा नया पाठ्यक्रम तैयार करने का भी प्रस्ताव रखा गया है‚ नया प्रस्ताव 5+3+3+4 का डिजाइन तय किया गया है। जो नर्सरी से 12वीं कक्षा तक के छात्रों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें बच्चों की शुरुआती पढ़ाई के लिए 5 साल का प्रोग्राम तय किया गया है। जिसमें 3 साल प्री-नर्सरी से यूकेजी एवं दो साल कक्षा-1 और 2 को जोड़ा गया है। जबकि कक्षा-3, 4 और 5 को अगले स्टेज में रखा गया है। वही क्लास-6, 7, 8 को तीन साल के प्रोग्राम में बांटा गया है। आखिरी 4 वाले में हाई स्टेज में कक्षा 9वीं, 10वीं, 11वीं, 12वीं को शामिल किया गया है।
नंबर-3‚ – पुरानी व्यवस्था में 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है। छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है। लेकिन नई व्यवस्था में इसमें भी थोड़ा सा बदलाव किया गया है। नए सिस्टम में एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी।
नंबर-4‚ – मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकेंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे। जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा। छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे। यानि की स्पष्ट है कि छात्र अपनी आगे की पढ़ाई में भी उसका इस्तेमाल कर सकेंगे।
नंबर-5‚ – नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब एमफिल पाठ्यक्रमों को बंद किया जाएगा। और बोर्ड परीक्षाएं जानकारी के अनुप्रयोग पर आधारित होंगी।
नंबर‚6 – नई शिक्षा नीति में स्कूल एजुकेशन से लेकर हायर एजुकेशन तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। अब हायर एजुकेशन के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा। इसमें लॉ और मेडिकल एजुकेशन को शामिल नही किया गया है। उच्च शिक्षा में 2035 तक 50 फीसदी GER पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है।
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