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संपूर्ण भारत में भारत संविधान की प्रस्तावना को प्रत्येक विद्यालय की प्रार्थना सभा (बाल सभा) में वाचन अनिवार्य करने के ज्ञापन दिया : एडवोकेट प्रमोद ए०आर० निमेष

गाजियाबाद : सचिव डा बी आर आंबेडकर ज्ञानोदय समिति (पंजी.)प्रमोद ए०आर० निमेश० (अधिवक्ता)य़ह ज्ञापन दिया और माग की है कि भारत का संविधान, भारत का सर्वोच्च विधान है जो संविधान सभा द्वारा 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ था और 26 जनवरी 1950 से प्रभावी हुआ था I यह दिन 26 नवम्बर को भारत के संविधान दिवस के रूप में घोषित किया गया और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है I भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लम्बा लिखित संविधान है I भारतीय संविधान में वर्तमान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भागों में विभाजित है I


 


      प्रस्तावना को भारत के संविधान का परिचायक माना जाता है।यह उन लक्ष्यों और आदर्शों का वर्णन करता है जिन्हें संविधान के निर्माता संविधान के माध्यम से प्राप्त करना चाहते हैं। चूंकि प्रस्तावना भारत के संविधान का एक अभिन्न अंग है, इसलिए संविधान की विधि को आगे समझने के लिए प्रस्तावना को समझना और उसका अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है।



 


 


       "हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा, उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढाने के लिए, दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई0 को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"


 


 


 


1. यह इस बात की ओर इशारा करता है कि संविधान के अधिकार का स्रोत भारत के लोगों के साथ निहित है।


 


 


 


2. यह इस बात की घोषणा करता है कि भारत एक, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राष्ट्र है।


 


 


 


3. यह सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता, समानता को सुरक्षित करता है तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भाईचारे को बढ़ावा देता है।


 


 


 


4. इसमें उस तारीख (26 नवंबर 1949) का उल्लेख है जिस दिन संविधान को अपनाया गया था.


 


प्रस्तावना का पाठ संविधान की संप्रभुता, सबका कल्याण अभियान का हिस्सा है। प्रस्तावना की शुरुआत हम भारत के लोगों के साथ क्यों है?क्योंकि, शब्द 'हम भारत के लोग' उस स्रोत को इंगित करते हैं जिससे भारत का संविधान अस्तित्व में आता है जो भारत के लोग हैं।


 


वर्तमान भारत में स्कूलों के विभिन्न बोर्ड हैं। आज के विशिष्ट पाठ्यक्रम में भाषा (ओं), गणित, विज्ञान - भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, भूगोल, इतिहास, सामान्य ज्ञान, सूचना प्रौद्योगिकी / कंप्यूटर विज्ञान आदि शामिल हैं। अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों में शारीरिक शिक्षा/खेल और सांस्कृतिक गतिविधियाँ जैसे संगीत, नृत्यकला, पेंटिंग, थिएटर / नाटक आदि हैं।


 


विभिन्न बोर्ड के अन्तर्गत संचालित सभी विद्यालयों में दिन की शुरुवात करने के लिए एक प्रार्थना सभा बुलाई जाती है तथा सामूहिक रूप से प्रार्थना का वाचन किया जाता हैं, जिसमे आमतौर पर राष्ट्र गीत, राष्ट्र गान एवं प्रार्थना शामिल होती है और प्रत्येक विद्यार्थी अपने जीवन में बाल सभा की प्रार्थना के उद्देश्य को अपने मन अभिनिहित कर लेता/लेती है।


 


इसी उद्देष्य को यदि आधार मान कर संपूर्ण भारत में भारत संविधान की प्रस्तावना को प्रत्येक विद्यालयो की प्रार्थना सभाओ में वाचन के लिए प्रेरित करा जाए तो की दशा में हमारे संपूर्ण भारत के प्रत्येक विद्यार्थी स्वयं के मन एवं जीवन में भारत के सांविधान की प्रस्तवना को अभिनिहित कर भारतीय सांविधान और देश के प्रति अपना समर्पण, सम्मान और आस्था धारण कर देश में एकता, अखंडता, समरसता, न्याय, समानता और स्वतंत्रता का सन्देश देंगे.


 


उदाहरणतः


भारत के कई राज्यो में भारतीय सांविधान की प्रस्तवना का वाचन राज्य सरकारों के प्रशासनिक आदेश के द्वारा प्रत्येक विद्यालयों में अनिवार्य किया जा चूका है जिसका विवरण निम्न है-


 


      महाराष्ट्र शासन ने प्रत्येक विद्यालय में भारतीय सांविधान की प्रस्तवना का वाचन का निर्णय वर्ष 2013 में ही ले लिया था लेकिन इस निर्णय को 26 जनवरी 2020 से अम्ल में लाया गया I इस आदेश को 21 जनवरी 2020 को जारी किया गया I भारतीय सांविधान की प्रस्तवना का वाचन प्रत्येक विद्यालयों में अनिवार्य करने में महाराष्ट्र प्रथम राज्य है I


 


1.महाराष्ट्र सरकार, शाशन आदेश संख्या 2012/(458/12)/प्राशि. -5 दिनांक 04-02-2013 (प्रथम आदेश)


 


      (i) महाराष्ट्र सरकार, शासन आदेश संख्या 2020/प्रा.क.11/SD-4 दिनांक 21-01-2020


 


2. महाराष्ट्र शाशन के बाद मध्यप्रदेश शासन शासन द्वारा आदेश दिनांक 22.01.2020 को जारी कर ‘संविधान की उद्देशिका’ (प्रस्तावना) का वचन प्रत्येक विद्यालयों में हर सप्ताह शनिवार को प्रार्थमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक द्वारा प्रार्थना के बाद और हाई स्क्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में प्राचार्य द्वारा बाल सभा के दौरान ‘संविधान की उद्देशिका’ का वाचन करेंगे


 


उक्त कथित तथ्य एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए माननीय महामहिम राष्ट्रपति महोदय जी एवं संबंधित अधिकारियों से विनम्रता पूर्वक अनुरोध है कि संपूर्ण भारत में भारत संविधान की प्रस्तावना को प्रत्येक विद्यालय की प्रार्थना सभा (बाल सभा) में वाचन के अनिवार्य करने हेतु आदेश पारित कर भारत के प्रत्येक नागरिक को गौरवान्वित करने की कृपा करें जोकि प्रत्येक भारतीय नागरिक के हित में है।


 


 


                                                                 


 


 


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