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सर सैय्यद अहमद खां, मौलाना मोहम्मद अली जौहर और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के सपनों को पूरा करना है

दिल्ली : मुश्किल दौर है चारो तरफ़ तुम्हारी लिये नापाक़ इरादों से बढ़ते हुए ज़ालिमों के हाथ हैं जो तूम्हे अपने चंगुल में जकड़ लेना चाहते हैं। जो तुम्हें नफ़रत की जंजीरों में कसकर बांध लेना चाहते हैं। जो तुम्हें निचोड़ कर फेंक देने का मंसूबा रखते हैं। जो तुम्हारे ऊपर आतंकवाद और देशद्रोही होने का ठप्पा लगाकर तुम्हें बदनाम कर देना चाहते हैं क्योंकि उन्हें पता है की तुम अपने हक़ और अपने अधिकारों को लेकर किस क़दर अनजान हो क्योंकि वो जानते हैं की तुम अपनी लड़ाई लड़ पाने में फिसड्डी हो क्योंकि वो जानते हैं की तुम अपने हुकूक और अधिकारों को लेकर बिल्कुल भी जागरूक नहीं हो क्योंकि वो जानते हैं की तुम तालीम को लेकर इस हद तक़ पिछड़े हुए हो की तुम्हें थाना और कचहरी में जाते हुए भी डर लगता है। 


 


ये तुम्हारी कमज़ोरियां है जिसका नाजायज़ फायदा उठाने वालों की होड़ मची हुई है। कोई तुम्हारे मदरसों को आतंक की फैक्ट्री बताकर चला जाता है तो कोई तुम्हारी मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर को ध्वनि प्रदूषण का माध्यम बता देता है। कोई तुम्हारी दाढ़ियों और टोपियों पर उंगली उठा देता है तो कोई तुम्हारी माँ बहनों और बेटियों के बुर्कों को गुलामी का प्रतीक बता देता है। वो बड़ी बेशर्मी और निडरता से ये सारी बातें कहकर सुर्खियाँ बटोर कर ले जाते हैं और तुम डरे सहमें से खुद को कटघरे में महसूस करने लग जाते हो। बावजूद इसके की तुम्हारे पास उनकी हर बात को जवाब है। देश के संविधान में तुम्हें भी दूसरे धर्मों की तरह धार्मिक आज़ादी दी गई है। पर चूंकि तुम इन सारी बातों से अनजान हो लिहाज़ा तुम चुपचाप डरे सहमे से उनकी हर बात सुन लेते हो। 


 


तुम कुछ बोल नहीं पाते, उनकी बातों का जवाब नहीं दे पाते। मजबूती हे अपना पक्ष नहीं रख पाते। पता है क्यों? क्योंकि तुमने इल्म की रौशनी से खुद को दूर कर लिया है। क्योंकि तुमने अपने आका (स.अ.व.) के उस कौल को भुला दिया जिसमें उन्होंने कहा था की "इल्म हासिल करो माँ की गोद से लेकर कब्र तक़" आप (स.अ.व.) ने बार-बार इल्म की अहमियत को समझाया पर हमने उन समझाईशों और सीखों पर अमल करना छोड़ दिया जिसका नतीजा ये हुआ की आज हम इल्म से दूर हो गए। तुमने भुला दिया है कुरआन की उस पहली आयत को जिसका पहला लफ़्ज था की "पढ़ो"। तुमने कुरआन और अपने आक़ा की सारी नसीहतों का दरकिनार कर दिया और आज नौबत ये हो गई है की जिस उम्मत के आख़री पैगंबर (स.अ.व) इल्म और तालीम को लेकर अपनी पूरी ज़िंदगी ज़ोर देते रहे वो उम्मत आज तालीम के मामले में पूरी दुनियाँ में सबसे ज़्यादा पिछड़ी हुई है और शायद यही वजह भी है की आज पूरी दुनियाँ में ये कौम तरह-तरह की परेशानियों से दो चार हो रही है।


 


हमारे मुल्क़ हिंदुस्तान में हमारे पुरखों ने ना जाने कैसी कैसी कुर्बानियां देकर हमारे तालीमी मयार को सुधारने की कोशिशें की। शिक्षा के आधुनिकीकरण के लिये तमाम जद्दोजहद की। क्योंकि वो अल्लाह के रसूल (स.अ.व.) के हर उस फरमान को बेहतर तरीक़े से समझते थे जिसमें आप (स.अ.व.) ने इल्म और तालीम के लिये ज़ोर दिया था। क्योंकि वो बेहतर जानते थे की जब तक़ ये कौम पढ़ेगी नहीं तब तक ये अपने हक़ के लिये अपने ऊपर हो रही ज़ोर और ज़्यादतियों के लिये आवाज़ नहीं बुलंद कर पाएगी लड़ नहीं पाएगी अपना हक़ छीन नहीं पाएगी। तभी उन पुरखों ने अपनी पूरी जिंदगी इस कौम की तालीमी तरक्कियात के लिये वक़्फ कर दी थी की आने वाली नस्लों को पढ़ने लिखने के लिये एक बेहतर माहौल मुहैया कराया जा सके। पर भला हो हमारे उन सियासी और मज़हबी रहनुमाओं का जो सर सैय्यद अहमद खान, मौलाना मोहम्मद अली जौहर और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के उस परचम को मजबूती से थाम कर नहीं रख पाए जो परचम आगे चलकर हमारी सरबुलंदी की पहचान बनता हमारी तरक्क़ियों और कामयाबियों की कहानियाँ गढ़ता।


 


तुम्हारा लोहा दुनियाँ मानती है। तुम्हारे अंदर कौशल भी है और कुशलता भी है। क़ाबिलियत तुम्हारे अंदर कूट कूट कर भरी हुई है। जो काम एक पढ़ा लिखा इंजीनियर नहीं कर पाता वो काम तुम्हारे यहाँ के एक 16-18 साल के लड़के के लिये बाएं हाथ का खेल है। तुम बिना डिग्रियों के एक बेहतर इंजीनियर हो, फैशन डिजाइनर हो, इंटीरियर डिजाइनर हो, बड़ी से बड़ी मशीनें तुम्हारे लिये खिलौना है, मुश्किल से मुश्किल काम तुम चुटकियों में निपटा लेते हो। सारी खूबियाँ हैं तुम्हारे अंदर, बस अगर इसमें तालीम का तड़का लगा दिया जाए तो तुम यकीनन वो कर सकते हो जो दुनियाँ सोंच भी नहीं सकती। तुम मुकाम हासिल कर सकते हो जिसके तुम हक़दार हो तुम अपनी क्षमता को अगर सर्टिफाईड क्षमता में बदल लो तो बड़ी बात नहीं मल्टीनेशनल कंपनियों के लोग नौकरियां लिये तुम्हारे आगे पीछे घूमते नज़र आए।


 


पढ़ लिखकर एक काबिल वकील बन जाओगे तो दुनियाँ तुम पर फिजूल के इल्जाम लगाने से पहले हज़ार बार सोचेगी। पढ़ लिखकर एक काबिल टीचर बन जाओगे तो दुनियाँ तुम्हारी कद्र करने लग जाएगी। पढ़ लिखकर एक काबिल इंजीनियर बन जाओगे तो दुनियाँ तुम्हारी क्षमता को सलाम करेगी। पढ़ लिखकर एक काबिल डाक्टर बन जाओगे तो दुनियाँ तुम्हारा एहतेराम करने लग जाएगी। और अगर पढ़ लिखकर कुछ ना भी बन पाए तो कम से कम एक जिम्मेदार शहरी एक जिम्मेदार नागरिक तो बन ही जाओगे, कम से कम अपने हुकूकों/अधिकारों को पहचान तो लोगे, अपने हक़ की लड़ाई तो लड़ लोगे किसी की फिजूल की फब्तियों और इल्जामों का सर उठाकर जवाब दे सकोगे। यकीन जानों की अगर पढ़ लिख लोगे तो दुनियाँ के सामने सर उठाकर चलने का सलीका सीख लोगे फिर कोई तुम्हारी तरफ़ आंख उठाकर देखने कि ज़ुर्रत नहीं करेगा इंशाअल्लाह।


 


आज के दौर में तुम्हारी लगभग हर समस्या का समाधान सिर्फ़ तालीम है। और ये बात पूरी दुनियाँ जानती है की जिस दिन तुम तालीम का रुख़ कर लोगे उस दिन इतिहास करवटे बदलना शुरू कर देगा, उस दिन तुम्हारी तरक्क़ी के रास्ते खुलने लग जाएंगे, उस दिन कामयाबी, दौलत और शोहरत तुम्हारे पीछे-पीछे चलना शुरू कर देगी। लिहाज़ा वो कभी नहीं चाहेंगे की तुम पढ़ लिखकर ये सारे मुकाम हासिल करो शुन्य से शिखर के सफ़र पर निकल पड़ो। लिहाज़ा तुम्हें खुद में ही तय करना होगा की तुम हर हाल में तालीम को अपनी ज़िंदगी का पहला मक़सद बनाओगे। पढ़ोगे.... अपने बच्चों को पढ़ाओगे अपने आस-पास, अपने समाज, अपने मोहल्लों में तालीम की अलख़ जगाओगे। कसम खा लो की भूखे रह लोगे, नर्म बिस्तर की जगह फर्श पर सो लोगे, मोटरसाइकिल की जगह साईकिल चला लोगे पर अपनी तालीम के रास्ते में अपने बच्चों की तालीम की रास्ते में किसी भी तरह की रुकावट नहीं पैदा होने दोगे। क्योंकि तुम्हें अपने माथे पर लगे अशिक्षा के कलंक को हमेशा हमेशा के लिये मिटाना है क्योंकि तुम्हें सर उठाकर मीलों तक़ चलते चले जाना है।


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