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उत्तराखंड में बेरोजगारों की फौज बड़ी हालात बेकाबू सरकार जल्द से राहत पैकेज

उत्तराखंड के ज्यादातर नवयुवक होटलों में काम करते हैं कोराना संक्रमण के चलते लॉकडाउन में अपने गांव के लोटे युवा बहुत परेशान है।


उन्हें कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है जिसके चलते एक युवक ने टिहरी में फांसी भी लगा ली थी। सरकार बड़े-बड़े दावा कर रही है कि युवकों को रोजगार दिया जाएगा। सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रही है परंतु धरातल पर एक भी योजना नजर नहीं आती है। युवाओं को प्रलोभन के लिए बहुत बड़ी-बड़ी योजनाएं बताई जा रही है परंतु हकीकत में कोई भी योजना अभी तक परवान नहीं चढ़ी है। केंद्र सरकार ने भी युवाओं के रोजगार के लिए बड़ी भारी राशि लोन देने के लिए योजना बनाई है। परंतु कोई भी बैंक या जनप्रतिनिधि उन्हें इस योजना के बारे में बताने वाला नहीं है। जब युवा बैंक में जाते हैं तो बैंक मैनेजर उन्हें कुछ भी नहीं बताते हैं और यदि जनप्रतिनिधियों से पूछते हैं तो वह भी कुछ नहीं बताते हैं।सरकार ने सिर्फ एक योजना बना रखी है कि गढ़वाल का युवक मनरेगा के तहत दीयाडी मजदूरी करें बस यही योजना धरातल पर नजर आती है।


क्या पढ़ा लिखा नवयुवक जो शहरों में 40/ 50 हजार तंखा ले रहे थे वह क्या दियाडी मजदूरी करेंगे। इस बात को सरकार को सोचना चाहिए कि पढ़े-लिखे नव युवकों के लिए रोजगार की व्यवस्था की जाए न की दियाडी मजदूरी की।सरकार ने जो योजनाएं युवाओं के लिए बनाई है उन्हें अपने कार्यकर्ताओं के द्वारा या सरकारी सेमिनार लगाकर युवाओं को बताया जाए। टॉकीज उन्हें स्वरोजगार के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी प्राप्त हो और वह अपना रोजगार कर सकें।


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